यह कहानी एक परिवार की हैं। जो हमेशा हस्ता खेलता और खुशी से रहता परिवार था। पता नही किसकी नजर लग गई इस प्यारे से परिवार को जो इतना मुस्किल वक्त आया कि कहानी ही पलट गई। परिचय ? मां का नाम: जानकी पिता का नाम: गौतम बेटी का नाम: मानवी बेटे का नाम: प्रिन्स यह परिवार मे ४ लोग रहते हैं, माता जानकी, पिता गौतम, बेटी मानवी और बेटा प्रिन्स यह सब बहुत खुस रहते थे साथ में । चलो, अब इस कहानी पर आते है , आज कल की जनरेसन मे हम नजर लगना, भूत, प्रेत का होना, नींबू में पाव रखना, या फिर काला साया, काली विद्या, इस सब को नहीं मानते हम..... अब इस कहानी में इस डरावनी कहानी हैं जो सुन कर भी डर लगता हैं, और याद करने पर भी रूह काप उठती हैं वैसे ही इस कहानी का मोड़ बहुत ही भयानक और डरवाना हैं|

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अनदेखा रहस्य - भाग 1

यह कहानी एक परिवार की हैं। जो हमेशा हस्ता खेलता और खुशी से रहता परिवार था। पता नही किसकी लग गई इस प्यारे से परिवार को जो इतना मुस्किल वक्त आया कि कहानी ही पलट गई। परिचय मां का नाम: जानकी पिता का नाम: गौतम बेटी का नाम: मानवी बेटे का नाम: प्रिन्स यह परिवार मे ४ लोग रहते हैं, माता जानकी, पिता गौतम, बेटी मानवी और बेटा प्रिन्स यह सब बहुत खुस रहते थे साथ में । चलो, अब इस कहानी पर आते है , आज कल की जनरेसन मे हम नजर लगना, भूत, प्रेत का होना, ...और पढ़े

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अनदेखा रहस्य - भाग 2

अमावस्या की रात थी। चारों ओर घुप्प अंधेरा छाया हुआ था, जैसे काले समंदर में डूबा हो सब कुछ। की सिसकियाँ एक सिहरन पैदा कर रही थीं। गाँव के बुजुर्ग कहते हैं, ऐसी रात में आत्माएँ जागती हैं। उसी रात, वह पुरानी हवेली अपनी खामोशी के साथ खड़ी थी, जो सालों से वीरान पड़ी थी। हवेली के टूटे फाटकों से झाँकती परछाइयाँ मानो किसी का इंतजार कर रही थीं। हर कदम पर बिखरे हुए पत्ते और टूटी हुई लकड़ियों की आवाजें उस डरावने माहौल को और भी भयावह बना रही थीं। कोई नहीं जानता था कि हवेली के अंदर ...और पढ़े

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अनदेखा रहस्य - भाग 3

अब सादी में सिर्फ एक ही रात बाकी थी।लेकिन पता नही क्यू जानकी खुश थी या फ़िर उसकी मन अजीब सी गभराहट हो रही थी। लेकिन वो बात को इग्नोर करने लगी।धीरे धीरे पूरा दिन गुजर गया। रात का संध्या का समय हो गया फिर वही अंधेरी रात, पूरे गांव में अंधकार, एक सिर्फ पेड़ के पते की आवाज आ रही थी, जिसे सुनते ही मन में डर सा लगने लगता है। संध्या का समय होते ही लोगो में पता नही डर सा दिखने लगा। सब अपने अपने घर जल्दी से जाने लगे। और जानकी का परिवार भी खाना ...और पढ़े

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अनदेखा रहस्य - भाग 4

बहुत रात, काला साया, सुनसान हवेली,जानकी को डर के मारे पता नही रहा की अब वो क्या करे, जैसे वह दरवाजे की ओर जाने लगी तब अचानक से दरवाजा बंद हो गया। यह सब देख कर जानकी डरने लगी।वह जानती नही थी की इसके साथ क्या होने वाला था। क्या हों रहा था। रात के करीब २:३० बजे थे। यह वक्त अब विकराल रूप धारण कर रहा था। जानकी चिलाने लगी। खोलो..... खोलो..... दरवाजा खोलो..... कोई मेरी मदद करो.......लेकिन हवेली के बाहर किस तक उसकी आवाज पहुंचती। इतनी ...और पढ़े

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