मुझे बाइक चलाना बहुत पसंद है। बहुत ज़्यादा। जुनून की हद तक। जब मैं एट स्टैंडर्ड में पहुँची तो स्कूल जाने के लिए फ़ादर ने लेडी बर्ड साइकिल दी। उन्हें यक़ीन था कि नई साइकिल पाकर मैं ख़ुश होऊँगी। लेकिन इसके उलट मुझे ग़ुस्सा आया। क्योंकि मैंने बहुत पहले से ही अपनी पसंद बताते हुए कहा था कि मुझे साइकिल नहीं चाहिए। इसलिए साइकिल देखते ही नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए मैंने उनसे कहा कि मुझे वह बाइक ले देंगे। लेकिन वह नाराज़ हो गए। मदर भी फ़ादर की तरह ही नाराज़ हुईं कि, "क्या मूर्खता है। तुम अभी बहुत छोटी हो। टेंथ स्टैंडर्ड में जाओगी तब सोचेंगे कि तुम्हें स्कूटी दी जाए या और दो-तीन साल तुम साइकिल से ही स्कूल जाओ।" मैंने ज़िद की तो डपटते हुए मदर ने कहा, "एमी तुम्हें ज़िद नहीं करनी चाहिए, तुम एक अच्छी बच्ची हो।" मदर की डाँट खाकर मैं चुप ज़रूर हो गई थी, लेकिन बाइक के प्रति मेरा लगाव और बढ़ गया। न्यूटन का थर्ड लॉ यहाँ काम कर रहा था। क्रिया के बराबर प्रतिक्रिया हो रही थी। समय के साथ यह लगाव बढ़ता रहा। उस समय तक मेरा भाई पढ़ने के लिए दिल्ली चला गया था। वह एडमिशन वग़ैरह के बाद अपनी बाइक भी ले गया था। घर में उसके बाद बस एक स्कूटर ही रह गई थी।
Full Novel
एमी - भाग 1
भाग -1 प्रदीप श्रीवास्तव मुझे बाइक चलाना बहुत पसंद है। बहुत ज़्यादा। जुनून की हद तक। जब मैं एट में पहुँची तो स्कूल जाने के लिए फ़ादर ने लेडी बर्ड साइकिल दी। उन्हें यक़ीन था कि नई साइकिल पाकर मैं ख़ुश होऊँगी। लेकिन इसके उलट मुझे ग़ुस्सा आया। क्योंकि मैंने बहुत पहले से ही अपनी पसंद बताते हुए कहा था कि मुझे साइकिल नहीं चाहिए। इसलिए साइकिल देखते ही नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए मैंने उनसे कहा कि मुझे वह बाइक ले देंगे। लेकिन वह नाराज़ हो गए। मदर भी फ़ादर की तरह ही नाराज़ हुईं कि, "क्या मूर्खता है। ...और पढ़े
एमी - भाग 2
भाग -2 दिल्ली में भाई और कई रिलेटिव्स को मैंने कॉल कर दी थी। कुछ रिलेटिव रात भर हमारे बने रहे। हमें सांत्वना देते रहे। अगले दिन शाम होने से कुछ पहले ही फ़ादर की बॉडी मिली। मैं चाह रही थी कि फ़ादर को पहले घर लाया जाए। भाई भी यही चाहता था। कुछ रिलेटिव्स भी हमारी बात से एग्री थे। लेकिन मदर नहीं। कुछ रिलेटिव्स भी मदर के साथ थे। अंततः हम हॉस्पिटल से ही उन्हें लेकर सीधे क़ब्रिस्तान गए। वहाँ उन्हें अंतिम विदा देकर घर आ गए। कुछ दोस्त, दो-तीन रिश्तेदारों को छोड़कर बाक़ी सभी लोग अपने-अपने ...और पढ़े
एमी - भाग 3
भाग -3 जब उन्होंने प्रेयर ख़त्म की तो मैं एकदम उनके सामने आ गई। ऐसा मैंने यह सोचकर किया इससे वह जान जाएँगी कि मैंने उनकी सारी बातें सुन ली हैं, इसलिए वह कुछ छुपाने का प्रयास ना करें। मुझे अपने सामने देखकर वह चौंकी। उनकी आँखों में नाराज़गी उभर आई। मैंने तुरंत सारी विनम्रता उड़ेलते हुए उनसे माफ़ी माँगी कि मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हुई। मुझे ऐसे समय में आपके पास नहीं आना चाहिए था। अपनी विनम्रता से मैंने उनका ग़ुस्सा एकदम शांत कर दिया। उन्हीं के कमरे में उनको बैठा दिया, बेड पर ही। फिर दो कप ...और पढ़े
एमी - भाग 4
भाग -4 "मैंने बहुत कोशिश की माय चाइल्ड, लेकिन मैं विवश हूँ। मुझे ऐसा लगता है कि जैसे वह में ही समाया हुआ है। इसलिए मैं समझती हूँ कि मैं कुछ भी कर लूँ, उससे अलग नहीं हो सकती।" मदर की इस बात ने मेरे ग़ुस्से को और बढ़ाया। जिससे मैंने उनसे वह प्रश्न पूछ लिया जो निश्चित ही उनके लिए जीवन का सबसे कड़वा प्रश्न था, सबसे कठिन भी, जिसका जवाब सिर्फ़ उन जैसी विकट हिम्मतवाली या एक्सट्रीम बोल्ड लेडी ही दे सकती है। ऐसी लेडी जिसके लिए अपने सुख से बढ़कर और कुछ नहीं है। हस्बैंड भी ...और पढ़े
एमी - भाग 5 (अंतिम भाग)
भाग -5 मगर इस डिसीज़न ने मेरे कॅरियर पर बहुत बुरा प्रभाव डाला। मदर से एक लंबे गैप या कहें कि ना के बराबर कम्युनिकेशन होने, इमोशनल रिश्ते के कमज़ोर से धागे से जुड़े होने के कारण मेरा कॅरियर बिखर गया। मैं स्वयं कॅरियर के लिए पूरा एफ़र्ट नहीं कर पा रही थी। ड्रीम डॉक्टर बनने का था लेकिन वीक एफ़र्ट, मौज-मस्ती की तरफ़ ज़्यादा झुकाव के चलते डॉक्टर नहीं बन सकी। किसी तरह नर्स बन गई। यह कहने में मुझे कोई हिचक नहीं कि मदर से अच्छे रिलेशन होते और वह अपनी ख़ुशियों को सेलिब्रेट करते हुए एक ...और पढ़े