कोविड-१९ फ़र्स्ट लॉक-डाउन काल की सत्ताईसवीं सुबह है। रिचेरिया अपॉर्टमेंट की पाँचवीं मंज़िल पर अपने फ़्लैट की बालकनी में बैठी, दूर क्षितिज में एक केसरिया घेरे को बड़ा होता देख रही है। घेरा जैसे-जैसे बड़ा हो रहा है, वैसे-वैसे उसका केसरिया रंग हल्का होता जा रहा है। चमक बढ़ती जा रही है। रिचेरिया प्रकृति के इस अनूठे खेल को जीवन में पहली बार इतने ध्यान से देख रही है। इसके पहले उसने बालकनी में ही चिड़ियों के लिए दाना-पानी भी ताज़ा कर दिया है। उसके सिर के ठीक ऊपर बाज़ार में बना एक बड़ा सा घोंसला टँगा हुआ है। उसे उसने साल भर पहले ही लाकर टाँगा था। नीचे एक कोने में दाना-पानी रखा हुआ है। उसे पंछियों की चहचहाहट सुमधुर संगीत सी लगती है, इसीलिए उसने बालकनी को पंछियों का संगीत-घर बनाने का प्रयास किया था, जिसमें वह सफल हो गई। पंछी कुछ दिनों बाद ही अपनी संगीत महफ़िल सुबह-शाम बालकनी में ही ख़ूब जमाने लगीं। उनका सुरीला रुनझुन संगीत उसकी सुबह-शाम सुरमई बनाने लगीं।
Full Novel
सुनहरी तितलियों का वाटरलू - भाग 1
भाग-1 प्रदीप श्रीवास्तव कोविड-१९ फ़र्स्ट लॉक-डाउन काल की सत्ताईसवीं सुबह है। रिचेरिया अपॉर्टमेंट की पाँचवीं मंज़िल पर अपने फ़्लैट बालकनी में बैठी, दूर क्षितिज में एक केसरिया घेरे को बड़ा होता देख रही है। घेरा जैसे-जैसे बड़ा हो रहा है, वैसे-वैसे उसका केसरिया रंग हल्का होता जा रहा है। चमक बढ़ती जा रही है। रिचेरिया प्रकृति के इस अनूठे खेल को जीवन में पहली बार इतने ध्यान से देख रही है। इसके पहले उसने बालकनी में ही चिड़ियों के लिए दाना-पानी भी ताज़ा कर दिया है। उसके सिर के ठीक ऊपर बाज़ार में बना एक बड़ा सा घोंसला टँगा ...और पढ़े
सुनहरी तितलियों का वाटरलू - भाग 2
भाग-2 वह पहले डायवोर्स फिर बेटी की पढ़ाई बंद होने का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाईं, ख़ुद को ख़त्म लिया। रिचेरिया के लिए एक लंबा सुसाइड लेटर छोड़ा था, जिसमें तमाम बातों के साथ-साथ बेटी को सम्बोधित करते हुए लिखा था . . . ‘मेरी प्यारी रिच, मैं तुमसे यह तो नहीं कहना चाहती कि यह करना, यह नहीं करना। बस अपने जीवन की उस सबसे बड़ी भूल, ग़लती को पहली बार बता रही हूँ, जिसके कारण मेरा जीवन ऐसा बीता, मुझे यह क़दम उठाना पड़ रहा है, और मेरी प्यारी बेटी को अनाथ होना पड़ रहा है। मेरी ...और पढ़े
सुनहरी तितलियों का वाटरलू - भाग 3
भाग-3 उसे बहुत शांत भाव से देख, सुन रही रिचेरिया ने कहा, “बैठो तो, एक बात ही तो पूछी अभी तो बड़ी देर तक बातें करनी हैं, मेरी बातों का तुम्हें जवाब देना है।” जेंसिया उसका प्रश्न सुनते ही खड़ी हो गई थी, वह उसे आश्चर्य से देखती हुई फिर बैठ गई। रिचेरिया की आँखों में देखती हुई बोली, “जब तुम्हारे लिए अट्रैक्शन पैदा हुआ, उस समय जो चाहत थी तुम्हारे लिए, आज उससे हज़ारों गुना ज़्यादा चाहती हूँ तुम्हें। तुम्हारे बिना मैं कुछ भी इमेजिन तक नहीं कर पाती। तुम मेरी लाइफ़ हो, मैं कैसे विश्वास दिलाऊँ तुम्हें। ...और पढ़े
सुनहरी तितलियों का वाटरलू - भाग 4
भाग-4 रिचेरिया ने बड़े प्यार से उसकी आँखों के आँसुओं को पोंछते हुए कहा, “डियर जेंसिया, हम कमज़ोर लोग हैं। आँसू कमज़ोर लोग बहाते हैं। और बहादुर हर सिचुएशन में रास्ता बना लेते हैं। तुम्हें याद ही होगा कि जिस दिन तुम साथ रहने के लिए आई तब शाम हो रही थी। नाश्ते के बाद मैंने बरतन हटाना चाहा, लेकिन तुमने मना कर दिया। “मैं तुम्हें किचन जाने आने तक एकटक देखती रही। तुम्हारे शरीर की एक-एक मूवमेंट मुझे बिल्कुल सम्मोहित कर रही थी। मन कर रहा था कि, तुम उसी तरह मूव करती रहो, और मैं उस मूवमेंट ...और पढ़े
सुनहरी तितलियों का वाटरलू - भाग 5 (अंतिम भाग)
भाग-5 जितनी देर वह तेल लगाती रही उतनी देर उसके आँसू निकलते रहे। वह सोचती रही कि, क्या यह इस विचित्र स्थिति के कारण कई दिन से सो नहीं रही थी, और जैसे ही मन की बात हुई, सैटिस्फ़ैक्शन मिला, वैसे ही गहरी नींद में चली गई। उसने देखा कि तेल लगाने के बाद उसका रह-रह कर कराहना बंद हो गया है। शायद तेल से उसे काफ़ी आराम मिल गया था। वह उठ कर फिर ड्राइंग-रूम में आ गई है यह सोचती हुई कि, यह पूरी नींद सो कर उठे तो इससे पूछूँगी कि, आख़िर तुम ऐसा क्या फ़ील ...और पढ़े