सन्नाटे में शनाख़्त

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उसने अचानक ही उस पर घूँसे-लात बरसा कर, उसे बेड से नीचे धकेल दिया। टाइल्स लगे फ़र्श पर अकस्मात्‌ गिरने से उसके सिर में गहरी चोट आ गई है। ख़ून के धब्बे पड़ने लगे हैं। उसने पेट पर लात इतनी तेज़ मारी है कि वह दर्द से दोहरी हो गई है, दोनों घुटने पेट से जा लगे हैं, जिन्हें दोनों हाथों से जकड़े हुए वह कराहने लगी है। अभी तो क्या, बीते कई दिनों से कोई झगड़ा भी नहीं हुआ है, फिर उसने अचानक ही इस बुरी तरह क्यों पीटा, वह अचरज में पड़ गई है। उसकी समझ में नहीं आ रहा है कि अभी तक तो इतने प्यार से प्यार कर रहा था, प्यार पूरा होते ही अचानक इस पर कौन सा जिन्नात सवार हो गया। इस तरह मारा-पीटा तो बार-बार है, मगर बिस्तर पर प्यार ख़त्म होते ही, पहली बार ऐसा किया है। भद्दी-भद्दी गालियाँ देते हुए कह रहा है, “लोगों को अपना शजरा तो पता नहीं होता और तू मुझे रोज़-रोज़ पूरी क़ौम का शजरा बताती रहती है। यह सुनते-सुनते कान पक गए हैं, कि ख़ान मुस्लिमों का सरनेम नहीं है।

Full Novel

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सन्नाटे में शनाख़्त - भाग 1

भाग -1 प्रदीप श्रीवास्तव उसने अचानक ही उस पर घूँसे-लात बरसा कर, उसे बेड से नीचे धकेल दिया। टाइल्स फ़र्श पर अकस्मात्‌ गिरने से उसके सिर में गहरी चोट आ गई है। ख़ून के धब्बे पड़ने लगे हैं। उसने पेट पर लात इतनी तेज़ मारी है कि वह दर्द से दोहरी हो गई है, दोनों घुटने पेट से जा लगे हैं, जिन्हें दोनों हाथों से जकड़े हुए वह कराहने लगी है। अभी तो क्या, बीते कई दिनों से कोई झगड़ा भी नहीं हुआ है, फिर उसने अचानक ही इस बुरी तरह क्यों पीटा, वह अचरज में पड़ गई है। ...और पढ़े

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सन्नाटे में शनाख़्त - भाग 2

भाग -2 कितनी बुरी तरह चोटिल हो गई थी, सवेरा होते-होते जब मेरी जान पर बन आई तो शैतान लगा कि कहीं मर-मरा गई तो जेल जाना पड़ेगा, इसलिए घरवालों से कहा कि यह ग़ुस्लख़ाने में फिसल कर गिर गई, वहाँ रखा कोई सामान इसको ज़ख़्मी कर गया। और जाहिलों का पूरा कुनबा सब-कुछ जानते हुए भी मुझ पर ही टूट पड़ा। एक औरत, ऊपर से सास, जो असल में दोनों ही के नाम पर कलंक थी, अपने साहबज़ादे के कुकर्म, वहशीपन को कुछ कहने की बजाय बेग़ैरतों की तरह मेरी ही जाँच कर डाली। मुझको ही शर्मों-हया की ...और पढ़े

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सन्नाटे में शनाख़्त - भाग 3

भाग -3 अंततः तबरेज़ ने उसे दबोच ही लिया है, और दोनों गुत्थम-गुत्था हो गए हैं, उठा-पटक, लात-घूँसे, दाँत से लेकर बाल खींचने तक पूरे ज़ोरों से चल रहा है, बड़ी बात यह कि वह तबरेज़ से कमज़ोर नहीं पड़ रही है। एकाएक बदले उसके इस रूप से हक्का-बक्का तबरेज़ को कई गहरी चोटें लग गई हैं। वह मज़बूत होने के बावजूद वाज़िदा के अति उत्साह, भयानक ग़ुस्से, आक्रामकता के आगे बीस नहीं उन्नीस पड़ने लगा है। फिर भी वाज़िदा ने सोचा कि इस तरह मार-पीट करते-करते या तो यह मर जाएगा या मैं ही मर जाऊँगी। यहाँ चीखने-चिल्लाने ...और पढ़े

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सन्नाटे में शनाख़्त - भाग 4 (अंतिम भाग)

भाग -4 “आज भी शाम को इसे ऑफ़िस से लेने गया तो यह बहुत देर से आई, वजह पूछते एकदम भड़क गई। रास्ते भर झगड़ती रही, घर पहुँचकर एकदम बिफ़र उठी, हमेशा की तरह मार-पीट पर उतारू हो गई। मैं चुप रहा तब ये शांत हुई। रात को खाने के बाद भी झगड़ा हुआ था। उसके बाद मैं सो गया था। “अचानक मुझे लगा जैसे कोई मेरी गर्दन कस रहा है, मेरी आँखें खुलीं तो देखा यह अपने दुपट्टे से मेरा गला कस रही थी। मैं किसी तरह ख़ुद को छुड़ा पाया। अपने को बचाने के चक्कर में ही ...और पढ़े

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