आह्वान प्रेम का

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आह्वान प्रेम का1. तेरी यादों को मैं कितना भुलाऊं,बेझिझक चली आती है चाहे मैं बुलाऊं या न बुलाऊं और हाल दिल का तुझे मैं क्या बताऊं अब रहा नहीं जाता, तुझसे मिलने का बेसब्री से दिल चाहताछोड़ हठ अपनी, आ अब मिलते है, गुल बनकर खिलते हैजो उजाड़ा था चमन हमने,आ फिर से उसमें प्रेम के रंग भरते हैकहानी अधूरी है हमारी,आ उसे पूरी करते हैआ उसे पूरी करते है। Rosha 2. कुछ तुम कहोगी,कुछ तुम पूछोगी इसी प्रतीक्षा में मैंने रात बिता दी।मेरी याद तुम्हें भी तो आती होगी,उन यादों की गोद में तुम भी तो कभी सोती होगी,

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आह्वान प्रेम का - 1

आह्वान प्रेम का1. तेरी यादों को मैं कितना भुलाऊं,बेझिझक चली आती है चाहे मैं बुलाऊं या न बुलाऊं और दिल का तुझे मैं क्या बताऊं अब रहा नहीं जाता, तुझसे मिलने का बेसब्री से दिल चाहताछोड़ हठ अपनी, आ अब मिलते है, गुल बनकर खिलते हैजो उजाड़ा था चमन हमने,आ फिर से उसमें प्रेम के रंग भरते हैकहानी अधूरी है हमारी,आ उसे पूरी करते हैआ उसे पूरी करते है। Rosha 2. कुछ तुम कहोगी,कुछ तुम पूछोगी इसी प्रतीक्षा में मैंने रात बिता दी।मेरी याद तुम्हें भी तो आती होगी,उन यादों की गोद में तुम भी तो कभी सोती होगीइसी ...और पढ़े

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आह्वान प्रेम का - 2

आह्वान प्रेम का 1. बड़े शातिर हो तुम, जोयूं जा रहे हो मुझे इश्क की लत लगाकरपर क्या जताना हो,अपना ख्याल रखना अब मुझे यह कहकरकि फिक्र करते हो मेरे लिएमेरी फिक्र की तुम फिक्र ना करोतेरी याद और मेरी तन्हाई काफी है मेरे लिए Rosha 2. दर्द कितना इस दर्द–ए–दिल में जानना चाहते हो तो आओ, बैठो कभी हमारी भी महफिल में Rosha 3. हर दिन की तरह ही मैं तुझे आज भी याद करता हूंवह इश्क तेरा, यह इश्क मेराहै इश्क क्या इस पर कुछ बात करता हूंबड़ी कशमकश के बाद हिम्मत हुई है कुछ कहने की,तो ...और पढ़े

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