आप सभी प्रेरक पाठक गणों को मेरा (संदीप सिंह का) राम-राम, गुरु आप लोग खुशहाल और चकाचक (स्वस्थ) होंगे| ईश्वर का आशीर्वाद आप सभी पर सदैव बना रहे और अना-पेक्षित हालातों की बारिश मे छाते की तरह आपकी रक्षा करें | चलिए आज मै आपको भूतकाल की उन यादों मे ले चलने का प्रयास करता हूँ , जिन्हे याद करके आज तो हम सभी की बत्तीसी निकल आती है, पर उस समय शामत बन कर टूटती थी। जी हाँ, मै बात करने जा रहा हूँ बचपन मे बाबू जी (पिता जी) की फ्री स्टाइल (मुक्त - शैली) कुटाई (पिटाई) की। अब ये बात और है कि किसी का नसीब बेहतरीन रहा हो और इस शैली का रस्वादन की अनुभूति से वंचित रह गए हो, कोई बात नही आज आनंद उठा सकते है, किंतु अधिकतर लोगों ने सदेह अनुभूति प्राप्त की है, अब मुकर जाएं तो आपका बड़प्पन है। खैर जो भी हो, उस दौर मे जब बाबू जी पुरी तन्मयता से पीटते थे, तो कई बार दिमाग ए शरीफ़ शून्य मे गोते लगाने लगता था कि गुरु हमसे गलती कौन सी हुई जो "बाप जी" इतनी शिद्दत से कूट रहे है।
बाबू जी की मुक्त शैली पिटाई - 1
बाबू जी की मुक्त शैली पिटाई भाग - 1 आप सभी प्रेरक पाठक गणों को मेरा (संदीप सिंह का) गुरु आप लोग खुशहाल और चकाचक (स्वस्थ) होंगे| ईश्वर का आशीर्वाद आप सभी पर सदैव बना रहे और अना-पेक्षित हालातों की बारिश मे छाते की तरह आपकी रक्षा करें | चलिए आज मै आपको भूतकाल की उन यादों मे ले चलने का प्रयास करता हूँ , जिन्हे याद करके आज तो हम सभी की बत्तीसी निकल आती है, पर उस समय शामत बन कर टूटती थी। जी हाँ, मै बात करने जा रहा हूँ बचपन मे बाबू जी (पिता जी) ...और पढ़े
बाबू जी की मुक्त शैली पिटाई - 2
बाबू जी की मुक्त शैली पिटाई - 2उपरोक्त सभी कारण वैधानिक होते थे, किंतु कई लोगों के कृत्य जो की श्रेणी मे आते थे उन्हे यहाँ उल्लेखित नहीं किया जा सकता। इसका कार्यकाल अक्सर किशोरावस्था आता है, किंतु ना इस प्रकार की गुश्ताख़ियाँ हुई ना अनुभव है। कारण कुछ भी हो किंतु वह पिता का पुत्र के साथ अगाध प्रेम युक्त अनुशासन होता था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था मे पिता का संरक्षण, कठोरता नितांत आवश्यक थी हमें संस्कारित, चारित्रिक, सामाजिक, व्यक्तिगत जीवन की सीख और समझ के लिए। जिस प्रकार कुम्हार मिट्टी को पानी डाल घड़े योग्य बनाने हेतु पाँव (पैर) ...और पढ़े