कुछ अंजान जिंदगी की कहानियां

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महाभारत की पौराणिक कहानियां हम बचपन से ही किताबों और टीवी सीरियलों में देखते आये हैं। लेकिन कुछ कथाएं ऐसी भी हैं जिन्हें आपने ना कभी पढ़ा होगा और ना ही सुना होगा। ये कथाएं अपने आप में अद्भुत हैं। आज इस पौराणिक कथा में हम आपको सुनाएंगे एक कहानी जब हनुमान जी ने भीम को अपने शरीर के तीन बाल दिए, जानिए क्यों ? पांडवों ने श्री कृष्ण की मदद से कौरवों पर विजय प्राप्त कर ली थी। अब हस्तिनापुर का राज्य पांडवों के अधीन था। धर्मराज युधिष्ठर राजा बने थे। न्याय और धर्म की प्रतिमूर्ति महाराज युधिष्ठर के राज्य में सब कुशल मंगल था। समस्त हस्तिनापुर आनंदमयी जीवन व्यतीत कर रहा था। कहीं कोई किसी प्रकार का दुःख ना था। एक दिन नारद मुनि राजा युधिष्ठर के पास आये और कहा कि महाराज आप यहाँ वैभवशाली जीवन जी रहे हैं लेकिन वहां स्वर्ग में आपके पिता बड़े ही दुखी हैं। युधिष्ठर ने नारद मुनि से पिता के दुखी होने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि पाण्डु का सपना था कि वो राज्य में एक “राजसूर्य यज्ञ” करायें लेकिन वो अपने जीवन काल में नहीं करा पाए बस इसी बात से दुःखी हैं।

Full Novel

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कुछ अंजान जिंदगी की कहानियां - 1

क्यों हनुमान जी ने भीम को दिए अपने शरीर के तीन बाल ? महाभारत की पौराणिक कहानियां हम से ही किताबों और टीवी सीरियलों में देखते आये हैं। लेकिन कुछ कथाएं ऐसी भी हैं जिन्हें आपने ना कभी पढ़ा होगा और ना ही सुना होगा। ये कथाएं अपने आप में अद्भुत हैं। आज इस पौराणिक कथा में हम आपको सुनाएंगे एक कहानी जब हनुमान जी ने भीम को अपने शरीर के तीन बाल दिए, जानिए क्यों ?पांडवों ने श्री कृष्ण की मदद से कौरवों पर विजय प्राप्त कर ली थी। अब हस्तिनापुर का राज्य पांडवों के अधीन ...और पढ़े

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कुछ अंजान जिंदगी की कहानियां - 2

श्रीकृष्ण मणि एक बार भगवान श्रीकृष्ण बलरामजी के साथ हस्तिनापुर गए। उनके हस्तिनापुर चले जाने के बाद अक्रूर और ने शतधन्वा को स्यमंतक मणि छीनने के लिए उकसाया। शतधन्वा बड़े दुष्ट और पापी स्वभाव का मनुष्य था। अक्रूर और कृतवर्मा के बहकाने पर उसने लोभवश सोए हुए सत्राजित को मौत के घाट उतार दिया और मणि लेकर वहाँ से चला गया। शतधन्वा द्वारा अपने पिता के मारे जाने का समाचार सुनकर सत्यभामा शोकातुर होकर रोने लगी।फिर भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण कर उसने यह प्रतिज्ञा की कि जब तक श्रीकृष्ण शतधन्वा का वध नहीं कर देंगे, वह अपने पिता ...और पढ़े

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कुछ अंजान जिंदगी की कहानियां - 3

द्रुपद का पुत्रेष्टि यज्ञ प्राचीन भारत में पुत्रेष्टि यज्ञ के द्वारा तेजस्वी पुत्र प्राप्त करने की प्रथा थी| किसी बहुत बड़े नृपति को संतान का अभाव दुख देता था, तो वह ऋषियों और महात्माओं के द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ कराता था| यज्ञ के कुंड से हवि बाहर निकलती थी| उस हवि को खाने से मनचाहे पुत्र की प्राप्ति होती थी| पांचाल देश के नृपति के कई पुत्र थे, फिर भी उन्होंने तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए पुतेष्टि यज्ञ कराया था| उन्होंने पुत्र होने पर भी पुतेष्टि यज्ञ क्यों कराया था - इस बात को नीचे की कहानी ...और पढ़े

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