"चाँद के उस पार चलो" फिल्म टेलीविजन पर चल रही है। फिल्म के अन्तिम दृश्य नैनीताल के मैदान में फिल्माया गया है।दृश्य लगभग रोमांटिक कहा जा सकता है।अन्त सुखान्त है। नायक और नायिका का मिलन। फिल्म तो समाप्त हो जाती है। लेकिन मल्लीताल के मैदान को देखकर मेरा मन उसके चारों ओर लधर जाता है। उस मैदान में नेताओं के भाषण भी सुने, अच्छे और बुरे दोनों । खेल भी देखे। और ठंडी सड़क से जो विद्यार्थी लघंम,एसआर, केपी छात्रावासों से आते थे उनके दर्शन भी यदाकदा हो जाते थे। मन की परतें जब खुलती हैं तो सबसे पहले वहाँ प्यार ही दिखायी देता है और बातें धीरे-धीरे आती हैं। कृष्ण भगवान को हम सबसे पहले उनके प्यार के लिए याद करते हैं और बाद में गीता के लिए। अयारपाटा को जाते रास्ते के सामने खड़े होकर पेड़ों और पहाड़ की छाया को बढ़ता देखता हूँ।

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ठंडी सड़क (नैनीताल) - 1

ठंडी सड़क (नैनीताल) भाग-१"चाँद के उस पार चलो" फिल्म टेलीविजन पर चल रही है। फिल्म के अन्तिम दृश्य नैनीताल मैदान में फिल्माया गया है।दृश्य लगभग रोमांटिक कहा जा सकता है।अन्त सुखान्त है। नायक और नायिका का मिलन। फिल्म तो समाप्त हो जाती है। लेकिन मल्लीताल के मैदान को देखकर मेरा मन उसके चारों ओर लधर जाता है। उस मैदान में नेताओं के भाषण भी सुने, अच्छे और बुरे दोनों । खेल भी देखे। और ठंडी सड़क से जो विद्यार्थी लघंम,एसआर, केपी छात्रावासों से आते थे उनके दर्शन भी यदाकदा हो जाते थे। मन की परतें जब खुलती हैं तो ...और पढ़े

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ठंडी सड़क (नैनीताल) - 2

ठंडी सड़क(नैनीताल)-२ठंडी सड़क पर धीरे-धीरे उसके साथ चल रहा था। मैंने कहा अब बुढ़ापा आ गया है। उसने कहा कभी बूढ़ा नहीं होता है। तभी उसने पुरानी फिल्म का गीत बजा दिया-"ये कौन आया, रोशन हो गई महफ़िल किस के नाम से मेरे घर में जैसे सूरज निकला है शाम से---- "मैं गीत सुन रहा था। मन ने एक उड़ान भरी। ठंड़ी सड़क से एस आर ,के.पी. लघंम छात्रावासों को जाने वाली पगडण्डी पर जो अब पक्की बन चुकी है। तब उबड़-खाबड़ हुआ करती थी। कुछ रास्ते उबड़-खाबड़ ही अच्छे होते हैं,ऐसा मन में आया। क्योंकि उन्हें पक्का करने ...और पढ़े

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ठंडी सड़क (नैनीताल) - 3

ठंडी सड़क( नैनीताल)-३हर क्षण एक कहानी कह रहा है। आज बुढ़ा वहाँ पर जल्दी आ गया है। बैठा है। देख रहा है। मैं वहाँ पर जाता हूँ और उससे पूछता हूँ किसी की प्रतीक्षा कर रहे हैं क्या? वह बोलता है नहीं, बस यों ही बैठा हूँ। बर्फ देख रहा हूँ। कुछ जमी है और कुछ पिघल चुकी है। जीवन भी ऐसा ही है कुछ है, कुछ पिघल चुका है। मैंने कहा सब कुछ याद तो नहीं रह पाता है। मेरी यादाश्त तो कुछ गड़बड़ हो गयी है। कुछ माह पहले मुझे एक लड़की ने नमस्ते किया। मैंने नमस्ते ...और पढ़े

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ठंडी सड़क (नैनीताल) - 4

ठंडी सड़क(नैनीताल)-४मैंने बूढ़े से आगे कहा-जब आप प्यार में होंखूब प्यार में हों,यही जी करता है।जहाँ आप नैनीताल की पर हों,ठंड का अहसास मिट जाता है। डीएसबी महाविद्यालय से हनुमानगढ़ी जा रहे हों। यहाँ काफल नहीं, हिसालू नहीं पर राह का आभास भी नहीं होता है। किसी को खोजते-खाजते हनुमानगढ़ी पहुँच जाते हैं। इसमें राजुला-मालूशाही से सपने नहीं हैं। कहा जाता है, राजुला-मालूशाही का जन्म बागनाथ( शिवजी) की कृपा से हुआ था। दोनों के माता-पिता ने उनकी सगाई भी वर माँगने के बाद कर दी थी। लेकिन नियति ने दोनों को पहले अलग कर दिया और फिर मिला भी ...और पढ़े

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ठंडी सड़क (नैनीताल) - 5

ठंडी सड़क(नैनीताल) -5बूढ़े ने कोट की जेब से सिगरेट का पैकेट निकाला और सिगरेट जलायी। और धीरे से बुदबुदाया वह नहीं आयी। हो सकता है स्वास्थ्य ठीक न हो। सिगरेट की एक लम्बी कस ली और धुँये को स्वच्छ वातावरण में उडेल दिया। मैंने उससे कहा," मुझे बीड़ी,सिगरेट का धुँआ अच्छा नहीं लगता है। इस धुँये से एलर्जी है। मैं चलता हूँ। उसने कहा ठीक है, ठीक है। मैं सिगरेट बुझा देता हूँ। तुम बैठो।" मैंने उससे कहा इस बार गाँव गया था। बहुत अच्छा लगा। जंगलों में घूमा। बचपन के जिन विशाल पत्थरों में खेला करते थे, उनके ...और पढ़े

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ठंडी सड़क (नैनीताल) - 6

ठंडी सड़क(नैनीताल)-6बूढ़े ने आँख खोली और कहा हमारा कालेज ऊपर ही है, जिसकी स्मृतियां अठखेलियां खेल रही हैं। मैंने बात काटी और शुरु हो गया।"बात १९७३-७५ की है। तब कक्षा में लड़कियों से लड़के बातचीत नहीं करते थे। यह एक सामाजिक परंपरा जैसी थी तब। हमारी कक्षा में तब मात्र तीन लड़कियां हुआ करती थीं। भौतिक विज्ञान प्रयोगशाला में हम प्रयोग किया करते थे। एक बार उनमें से किसी एक का रूमाल प्रयोगशाला में छूट गया था। वे प्रयोगशाला छोड़कर जा चुके थे। मेरा प्रयोग देर तक चला। मैंने रूमाल उठाया और मैडम( प्रवक्ता -भौतिक विज्ञान) को रूमाल देते ...और पढ़े

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ठंडी सड़क (नैनीताल) - 7

ठंडी सड़क( नैनीताल)-7बुढ़िया मोड़ पर आते दिखी तो बूढ़ा झट से उठा और उसका चेहरा खिल गया। बोला वे क्या दिन थे। समय ने ऐसे किनारों पर हमें ला दिया जो चाहकर भी मिल नहीं पाये। हम इसी कालेज में थे, आज से पचास साल पहले। नैनीताल तब ऐसा नहीं था। पिछले साल गरमी में लग रहा था जैसे झील कह रही थी-"प्रिय, मैं तुम्हारी याद में सूखे जा रही हूँ।कहते हैं कभी सती माँ की आँखें यहाँ गिरी थीं।नैना देवी का मंदिर इसका साक्षी है। कभी मैं भरी पूरी रहती थी।तुम नाव में कभी अकेले कभी अपने साथियों ...और पढ़े

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ठंडी सड़क (नैनीताल) - 8

ठंडी सड़क (नैनीताल)-8मैं उस दिन अकेले बैठा था। ठंडी सड़क कुछ सर्पीली सी मेरे अन्दर घुमाव बना रही थी। ,एक लघुकथा, मेरे अन्दर जगमगाने लगती है। नैनीताल( एक लघुकथा)-१वहाँ मेरा होना और तुम्हारा होनाएक सत्य था,इस बार वहाँ जाऊँगातो सोहन की दुकान परचाय पीऊँगा,रिक्शा स्टैंड पर बैठकुछ गुनगुना लूँगा,बिष्ट जी जहाँ खड़े होते थेवहाँ से दूर तक देखूँगा,यादों की बारात मेंतुम्हें खोजते-खोजतेनीचे उतर आऊँगा।नन्दा देवी के मन्दिर में जासभी देवी देवताओं को धन्यवाद देकहूँगा कि जैसा चाहा वैसा नहीं दियापर जो दिया वह भी मूल्यवान हैजन्मों का फल है,नैनी झील कोनाव से पार करते समयदेख लूँगा वृक्षों के बीच ...और पढ़े

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ठंडी सड़क (नैनीताल) - 9

ठंडी सड़क(नैनीताल) -9अगले दिन बूढ़े ने मेरा हाथ पकड़ा और उसकी लाइनों को देखने लगा।और बोला," बचपन में तुम में रहते थे। तीन साधु तुम्हारे घर आये थे। तुमने उनसे बहुत तर्क किये थे। उसमें से एक साधु ने कहा था तुम विदेश जाओगे। तुम्हें विश्वास नहीं हुआ था। लेकिन पच्चीस साल बाद तुम अमेरिका चले गये।" मैंने उन्हें रोका और कहा मैं आपको एक बात बताता हूँ जो मेरे दिमाग में घूमने लगी है,आपके बातों के बीच प्रवाह बना रही है। अपने डाक्टर-मित्र के बारे में। " फेसबुक पर मुझे एक मित्र अनुरोध मिला,अटलांटा, संयुक्त राज्य अमेरिका से। ...और पढ़े

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ठंडी सड़क (नैनीताल) - 10

ठंडी सड़क( नैनीताल)-10बुढ़िया ने कहा,"मुझे अपना पूर्व जीवन याद है। गाँव में रहती थी। गाँव जो लगभग साढ़े पाँच फीट की ऊँचाई पर था।जंगल का सान्निध्य जिसे प्राप्त था।जाड़ों में बर्फ भी गिरती थी। वह सफेद बर्फ मन को भी श्वेत कर देती थी। वनों में चीड़ था, बाँज था, बुरुस था, काफल था, तुन था, पता नहीं कितने प्रकार के पेड़ थे।कुछ जानती थी, कुछ को नहीं जानती थी।मैंने पहली कविता वहीं लिखी जो मर चुकी है या परिवर्तित हो गयी है।चीड़ के वनों के ठेके होते थे। पेड़ों को चीर कर बड़ी-बड़ी बल्लियां निकाली जाती थीं।उन्हें नदी ...और पढ़े

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ठंडी सड़क (नैनीताल) - 11

ठंडी सड़क( नैनीताल):-11मेरे मन में बूढ़े को बताने के लिए बहुत कुछ है। जो ठंडी सड़क के आसपास घटित मन कितनी बार दोहराता है सब, जैसे दिन- रात अपने को दोहराते हैं, ऋतुएं अपने आप बार-बार आती-जाती हैं। बूढ़ा बोला कुछ और सुनाओ। मैंने झील को देखा और लम्बी साँस ली और बोला- "मुझे उसका चालीस साल पहले का पहनावा याद है।क्यों ऐसा है पता नहीं! हल्के पीले रंग की स्वेटर। खोजी सी आँखें और गम्भीर चेहरा। मुस्कान अछूती। एक अज्ञात स्पर्श। जगमगाते हावभाव।अपने अन्य दोस्तों का पहनावे का कोई आभास नहीं हो रह है। यहाँ तक की अपने ...और पढ़े

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ठंडी सड़क (नैनीताल) - 12

ठंडी सड़क( नैनीताल)-१२मैं भी ठंडी सड़क का एक दृष्टांत हूँ।मैं किसी काम से हल्द्वानी बाजार गया था। बस स्टेशन गुजर रहा था, नैनीताल की बस पर नजर पड़ी, सोचा नैनीताल घूम कर आऊँ। बिना उद्देश्य कहीं जाना भी मन को आन्दोलित तो करता है।बस में बैठ गया। बगल में दूसरा यात्री था। कुछ देर बाद बस चली। बगल का यात्री एक राजनैतिक दल को गाली दे रहा था और दूसरे दल की प्रशंसा कर रहा था।मैंने उसे अपना परिचय तब तक नहीं दिया था। वह छोटा व्यापारी था। काठगोदाम से ऊपर को जब बस गुजर रही थी तो मुझे ...और पढ़े

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