वर्णा एक बहुत धनाढ्य परिवार में जन्मी बेहद खूबसूरत काया की धनी थी। भगवान भी किसी-किसी पर अपने आशीर्वाद की बारिश कुछ ज़्यादा ही कर देते हैं। सुंदरता ऐसी कि किसी की भी नज़र पड़ जाए तो जहाँ वह हो वहीं क़ैद हो जाए। परिवार भी उतना ही संपन्न जहाँ कोई कमी नहीं थी। घर में भरपूर लाड़ प्यार से पली स्वर्णा पढ़ाई के लिए शहर से दूर होस्टल भेज दी गई, जहाँ बड़े-बड़े रईस घर के बच्चे पढ़ने जाते हैं। बच्चों को वहाँ भेज कर पढ़ाना मध्यम वर्ग के परिवार के लिए तो शक्ति से बाहर की बात थी। फिर भी एक लड़की थी कल्पना, जो मध्यम वर्ग के परिवार से वहाँ आई थी।

Full Novel

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सुख की खोज - भाग - 1

स्वर्णा एक बहुत धनाढ्य परिवार में जन्मी बेहद खूबसूरत काया की धनी थी। भगवान भी किसी-किसी पर अपने आशीर्वाद बारिश कुछ ज़्यादा ही कर देते हैं। सुंदरता ऐसी कि किसी की भी नज़र पड़ जाए तो जहाँ वह हो वहीं क़ैद हो जाए। परिवार भी उतना ही संपन्न जहाँ कोई कमी नहीं थी। घर में भरपूर लाड़ प्यार से पली स्वर्णा पढ़ाई के लिए शहर से दूर होस्टल भेज दी गई, जहाँ बड़े-बड़े रईस घर के बच्चे पढ़ने जाते हैं। बच्चों को वहाँ भेज कर पढ़ाना मध्यम वर्ग के परिवार के लिए तो शक्ति से बाहर की बात थी। ...और पढ़े

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सुख की खोज - भाग - 2

कल्पना अब तक भी मध्यम वर्गीय परिवार का हिस्सा ही बनी रही। तभी एक दिन स्वर्णा ने कल्पना को किया, "हैलो कल्पना।" “हैलो स्वर्णा कैसी है तू? बहुत दिनों बाद तेरी आवाज़ सुन कर बहुत अच्छा लगा।” “मैं तो बिल्कुल ठीक हूँ, तू बता तू कैसी है? पढ़ाई कैसी चल रही है?” “स्वर्णा सब कुछ एकदम ठीक चल रहा है। अच्छा बता, कुछ ख़ास बात है क्या?” “हाँ कल्पना, तुझसे एक ज़रूरी बात करनी है।” “हाँ स्वर्णा बोल क्या बात है?” “कल्पना मुझे मेरे साथ काम करने वाला राहुल बहुत अच्छा लगता है। तू जानती है ना उसे, उससे ...और पढ़े

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सुख की खोज - भाग - 3

स्वर्णा सोच रही थी कि बच्चे को जन्म देने के बाद आकाश की ऊँचाई को छू रहा उसका कैरियर पतंग की तरह नीचे आ गिरेगा। उसके चाहने वाले दर्शक जितना उसके अभिनय को पसंद करते हैं उससे कहीं ज़्यादा उसकी खूबसूरती के दीवाने हैं। इन्हीं ख़्यालों में खोई स्वर्णा एक दिन अचानक नींद से जाग कर उठ बैठी। तभी उसे कल्पना की याद आई। उसे याद आया कल्पना की शादी को अभी कुछ ही समय बीता है। उसके विवाह पर स्वर्णा भले जा ना पाई थी पर खूबसूरत फूलों के कीमती गुच्छे के साथ उसका बधाई संदेश कल्पना तक ...और पढ़े

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सुख की खोज - भाग - 4

स्वर्णा अपनी दोस्त कल्पना से जो बात करना चाह रही थी यकीनन वह बात यूँ ही कह देना इतना नहीं था। लेकिन उसे कहना तो था। तब उसने किसी तरह अपने होठों को आवाज़ दी उसने कहा, "यार कल्पना हम दोनों को अब बच्चा चाहिए लेकिन मुझे मेरा शरीर बिगड़ जाने का बहुत डर लगता है। आजकल तो इसके कारण मेरे और राहुल के बीच बहुत बार झगड़ा भी हो जाता है। उसे बच्चे की बहुत जल्दी है। वह अब और इंतज़ार नहीं कर सकता। कल्पना तू यदि तेरी कोख में हमारे बच्चे को स्थान दे-दे तो..." "स्वर्णा तू ...और पढ़े

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सुख की खोज - भाग - 5

कल्पना के मुँह से स्वर्णा की अजीबोगरीब मांग सुनकर रौनक भड़क उठा। आवेश में आकर उसने कहा, "ये क्या रही हो कल्पना? तुम पागल हो गई हो क्या? हम क्या मुँह दिखाएंगे माँ और पापा को? ...और क्या तुम अपनी कोख से पैसा कमाना चाहती हो?" "नहीं रौनक तुम ग़लत सोच रहे हो। यह कोई सौदा नहीं है। मैं जानती हूँ कि मैं कितना भी मना करूं; वह इसके बदले ना जाने क्या-क्या हमें देगी। लेकिन मैंने कभी ऐसा नहीं सोचा। पैसे की बात मेरे दिमाग़ में नहीं आई। मैं केवल उसकी मदद करना चाहती हूँ। आज उसे मेरी ...और पढ़े

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सुख की खोज - भाग - 6

स्वर्णा के पिता चुपचाप खड़े उसकी सब बातें सुन रहे थे। उन्हें तो यह भी नहीं मालूम था कि भी होता है। फिर उन्होंने स्वर्णा से केवल इतना ही कहा, "स्वर्णा बेटे अब तुम ग़लत रास्ते पर जा रही हो। तुम हीरोइन बनना चाहती थीं, तब तुम्हारे बढ़ते कदमों की रफ़्तार को हमने नहीं रोका। तुम्हारी ख़्वाहिशों को पूरा करने का हर अवसर तुम्हें दिया। लेकिन यह ठीक नहीं है बेटा, कर ली तुमने अपनी हीरोइन बनने की इच्छा पूरी। अब अपना पारिवारिक जीवन जियो। उसका भी पूरा आनंद उठाओ। हर अनुभव को स्वयं महसूस करो। हमारा फर्ज़ है ...और पढ़े

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सुख की खोज - भाग - 7

कल्पना की गोदी में जाते ही बच्ची ने रोना बंद कर दिया। उसने बच्ची को आँचल में छिपा कर छाती से लगा लिया। बच्ची दूध पीने लगी। यह दृश्य प्यार की ऐसी फुहार कर रहा था जिसे देख कर स्वर्णा के शरीर में एक अजीब-सी सिहरन होने लगी। एक अजीब-सी बेचैनी होने लगी। उसे लग रहा था मानो कुछ छूटा जा रहा है। वह तड़प उठी उसका मन कर रहा था कि काश वह बच्ची को उठाकर अपनी छाती से लगा सके। लेकिन उसकी छाती में बच्ची को पिलाने के लिए अमृत तुल्य दूध कहाँ था। कल्पना इतनी देर ...और पढ़े

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सुख की खोज - भाग - 8

नौ माह तक एक बच्ची को अपनी कोख में रखना उसे जन्म देना और उसके बाद अपनी छाती से स्तन पान कराना यह इतना सुंदर एहसास था जिसे छोड़ कर चले जाना कल्पना के लिए इतना आसान ना था। डबडबाई आँखों से उसने स्वर्णा की बेटी की एक तस्वीर अपने सूटकेस में रखते हुए कहा, "स्वर्णा मुझे यदि इसकी याद आएगी तो मैं कभी-कभी यहाँ तेरे पास आ सकती हूँ ना?" "कल्पना यह क्या पूछ लिया तूने? यह कैसा प्रश्न था? इस बच्ची पर जितना हक़ मेरा है उतना ही तेरा भी तो है। नौ माह तक अपने शरीर ...और पढ़े

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सुख की खोज - भाग - 9 - अंतिम भाग

रौनक के मुंह से यह सुनकर कि 'तुमने उसे क़सम देने में बहुत देर कर दी' कल्पना चौंक गई। पूछा, तुम यह क्या कह रहे हो रौनक? "कल्पना उसने तो उनका अंश तुम्हारे शरीर में आते से ही तुम्हारे पापा-मम्मी के घर को छुड़ा लिया था, जो अब तक गिरवी रखा था। पर यह मेरी समझ से बाहर है कि यह बात स्वर्णा कैसे जानती है," रौनक ने प्रश्न किया। "हे भगवान यह तो मैंने उसे पढ़ाई करते समय स्कूल में यह कहते हुए बताया था कि मेरी पढ़ाई के लिए मेरे पापा ने मकान तक गिरवी रख दिया ...और पढ़े

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