इतनी बेचैनी, इतनी घबराहट शायद ही कभी वर्तिका को हुई थी जितनी आज हो रही थी। रह रह कर घड़ी देखना, कभी माथे पे लटकती लटो को कान के पीछे करना तो कभी अपने कुर्ते को ठीक करना, बस स्टॉप पे खड़ी हुई वर्तिका को कोई भी देख कर कह सकता था की वो बिलकुल भी ठीक नहीं है। बस स्टॉप के दूसरी साइड खड़ी एक आंटी तब से वर्तिका को देख रही थी जब उनसे ना रहा गया तब उन्होंने जाके वर्तिका से बात करनी चाही... " क्या बात है बेटा? बहुत परेशान लग रही हो? सब तुम्हें ही देख रहे हैँ, कोई तकलीफ? पानी हो तो पानी पी लो। " आंटी की बातें सुन वर्तिका को एहसास हुआ की कबसे उसकी हरकतो के कारण लोग उसे घूरे जा रहे थे और आंटी के पास आकर बात करने पर कुछ की निगाहे भले हट गयी हो लेकिन कुछ तो अब भी उसको अजीब नज़रों से देखे जा रहे थे....

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वो रात कुछ और थी - 1

इतनी बेचैनी, इतनी घबराहट शायद ही कभी वर्तिका को हुई थी जितनी आज हो रही थी। रह रह कर देखना, कभी माथे पे लटकती लटो को कान के पीछे करना तो कभी अपने कुर्ते को ठीक करना, बस स्टॉप पे खड़ी हुई वर्तिका को कोई भी देख कर कह सकता था की वो बिलकुल भी ठीक नहीं है। बस स्टॉप के दूसरी साइड खड़ी एक आंटी तब से वर्तिका को देख रही थी जब उनसे ना रहा गया तब उन्होंने जाके वर्तिका से बात करनी चाही... " क्या बात है बेटा? बहुत परेशान लग रही हो? सब तुम्हें ही ...और पढ़े

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वो रात कुछ और थी - 2

बर्फ की सिल्ली जैसी वर्तिका एक दम ठंडी पड़ती जा रही थी , चेहरा डर के मारे सफ़ेद सा जा रहा था। आंटी की पिस्तौल की नली एक बार और थोड़े दबाव के साथ वर्तिका को अपनी कमर पे दबती महसूस हुई, जिस वजह से वर्तिका के हाँथ ना चाहते हुए भी पर्स के अंदर रक्खे हुए उस गोल्ड पाउच पर चले गए। " जल्दी कर लड़की, ज़िंदा रहना है या गोली चलाऊं मैं!" आंटी दबी ज़ुबान से मुस्कुराते हुए बोली। वर्तिका ने वो पाउच निकाला और कापते हांथो से आंटी को पकड़ा दिया। बन्दूक की नली का दबाव ...और पढ़े

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