सफर ए दास्ता ...

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1979...की वह सुबह जब रागिनी अपने घर से कॉलेज के लिए निकल रही थी काॅलेज मे आज उसे जल्दी पहुँचना था इसलिए आज वो आरती के घर नही गई वो सीधे काॅलेज पहुँचना चाह रही थी जल्दी जल्दी मे चलने की वजह से उसकी चप्पल टूट गई वो चप्पल हाथ मे उठाए..मोची को ढूंढ रही थी मोची कही भी नही था अब उसके पास ऑटो रिक्शा के अलावा कोई रास्ता नही था तभी उसके पिछे से स्कूटर के ब्रेक लगने की आवाज आई वो पिछे पलटी मुड़कर देखा तो रोहित बिल्कुल पिछे ही था |

Full Novel

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सफर ए दास्ता ... भाग 1

1979...की वह सुबह जब रागिनी अपने घर से कॉलेज के लिए निकल रही थी काॅलेज मे आज उसे जल्दी था इसलिए आज वो आरती के घर नही गई वो सीधे काॅलेज पहुँचना चाह रही थी जल्दी जल्दी मे चलने की वजह से उसकी चप्पल टूट गई वो चप्पल हाथ मे उठाए..मोची को ढूंढ रही थी मोच ...और पढ़े

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