फिल्मी दुनिया की बेरुखी और हद दर्जे की खुदगर्जी को भी काफी गहराई से महसूस किया है मैने। चढ़ते सूरज को नमस्कार करना ही शहर की फितरत में हैं।गिरते हुए को धक्का मार कर जमीन पर लेटा देने में यहां सबको खुशी मिलती है । फिल्मी दुनिया के कुछ दिग्गजों ने क्या खूब नाम दिया हैं बंबई शहर को । कोई कहता इसे ये माया नगरी है तो कोई कहता इसे की ये स्वपन की नगरी है । सच भी थी है कि इस महानगर की पहचान व्यापारिक शहर की अपेक्षा फिल्मी नगरी के रूप में कही अधिक ज्यादा जाना जाता हैं । आज भी लाखो युवाओं के सपनो यह लहर जब तक उबाला मारता है ।लेकिन यहां बसी ग्लैमर ही इस शहर का पूरा सच भी है । रंगीनियों के साथ एक और चेहरा है जिसे संघर्ष ,भूख ,चापलूसी की और गुमनामी की स्याह लकीरे है । लेकिन एक अजीब सा समोहन है इस शहर में जिससे वह हमेशा छलता रहा हैं ।
Full Novel
हर पल रंग बदलती है फिल्मी दुनिया - भाग 1
फिल्मी दुनिया की बेरुखी और हद दर्जे की खुदगर्जी को भी काफी गहराई से महसूस किया है मैने।चढ़ते सूरज नमस्कार करना ही शहर की फितरत में हैं।गिरते हुए को धक्का मार कर जमीन पर लेटा देने में यहां सबको खुशी मिलती है ।फिल्मी दुनिया के कुछ दिग्गजों ने क्या खूब नाम दिया हैं बंबई शहर को । कोई कहता इसे ये माया नगरी है तो कोई कहता इसे की ये स्वपन की नगरी है ।सच भी थी है कि इस महानगर की पहचान व्यापारिक शहर की अपेक्षा फिल्मी नगरी के रूप में कही अधिक ज्यादा जाना जाता हैं । ...और पढ़े
हर पल रंग बदलती है फिल्मी दुनिया - भाग 2
आज पता चल रहा है की घर घर होता है ,और साथ में मां के हाथ का खाना जन्नत सकते हैं इसमें कोई दो मत नहीं हैं जन्नत कहने में ।वो धीरे धीरे अपनी मन को टटोलने लगी , मैने हल्के लफ्जों में पूछा तो क्या आप हीरोइन बनी .?वो फिर से जैसे अपने अतीत में खो गई ऐसा लग रहा था जैसे कल की ही बात हो उन्होंने बताया हीरोइन बनने का तो भूत मुझसे तब ही उतार गया जब मेने मेरे जैसे हजारों को हर रोज लोगो के आगे पीछे भागते देखा मेने देखा कैसे कोई कैसे ...और पढ़े