कुछ रिश्ते ऐसे होते है की उसे कितना भी सजाके रखो, पर हाथ से छुट ही जाते है। ये कहानी एक लड़का और लड़की की दोस्ती की है। ऐसी दोस्ती जिसमे झगड़ा बहोत होता पर कभी मनाने की जरूरत नहीं पड़ती थी। सिर्फ छोटी सी स्माइल से सारी नाराजगी खतम हो जाती। पर कुछ ऐसा हुआ की सात साल पुरानी दोस्ती एक छोटी सी गलतफेमि से टूट गई। "जैन" दिखने मे ठीक था। उसका बात करने तरीका ऐसा था की कोई भी उसकी बातों मे आ जाए। झूठ भी बहोत आसानी से बोल देता, वो भी ऐसे सब उस पर भरोसा कर लेते। कुछ कुछ अच्छा और कुछ कुछ बुरा दोनों गुण उसमे थे। और "चाहत" सावली, मासूम, गुस्से वाली और दिल से सोचने वाली।

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Best friend - 1

कुछ रिश्ते ऐसे होते है की उसे कितना भी सजाके रखो, पर हाथ से छुट ही जाते है। ये एक लड़का और लड़की की दोस्ती की है। ऐसी दोस्ती जिसमे झगड़ा बहोत होता पर कभी मनाने की जरूरत नहीं पड़ती थी। सिर्फ छोटी सी स्माइल से सारी नाराजगी खतम हो जाती। पर कुछ ऐसा हुआ की सात साल पुरानी दोस्ती एक छोटी सी गलतफेमि से टूट गई। जैन दिखने मे ठीक था। उसका बात करने तरीका ऐसा था की कोई भी उसकी बातों मे आ जाए। झूठ भी बहोत आसानी से बोल देता, वो भी ऐसे सब उस पर भरोसा ...और पढ़े

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Best friend - 2

चाहत जिसका भरोसा टूट गया था। जिसे बेस्ट फ्रेंड नाम से नफरत हो गई। यह उसके जीवन का दूसर है। जिन्होंने इस कहानी का पहला भाग पढ़ा है वो जरूर ये जानना चाहेंगे की एक लड़के से दोस्ती टूटने के बाद चाहत के जीवन में क्या हुआ। (आगे की कहानी आप सब पढ़े इससे पहले हम आपको ये बता दे की यह कहानी कोई काल्पनिक कहानी नहीं बल्कि सत्य घटना है।) इसके बाद चाहत ने अपने जिने का तरीका बदल दिया। जीना नहीं छोड़ा बल्कि लड़को की दोस्ती पर भरोसा करना छोड़ दिया। किसी भी लड़के को अपना दोस्त ...और पढ़े

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Best friend - 3

आगे....... राधव और चाहत की कभी कभी मुलाकात होती थी। एक दूसरे के घर आना जाना रहता था। इसलिये एक दूसरे के बारे मे सब जानते थे और समझते थे। कॉल पर बात करना दोनों को पसंद नहीं था इसलिये ज्यादा तर बातें मैसेज पर करते। मस्ती मजाक मे भी राधव इसबात का पुरा ध्यान रखता की चाहत को बुरा ना लगे। बातों बातों में चाहत कहींबार कहती "मे तुमको दोस्त नहीं मानती, और राधव कहता it's ok, I understand... चाहत ये सोचती की राधव मेरी बातें इतनी अच्छे से कैसे समझ जाता है?इसी अच्छाई और सच्चाई देख चाहत ...और पढ़े

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Best friend - 4

आगे...... अंतिम भागराधव की सगाई हो गई। इसबात से चाहत खुश थी। मगर कहीं ना कहीं उसे दोस्ती टूटने डर परेसान करता था। मन ही मन इसबात से डरती, कहीं उसका और राधव रिश्ता ना टूट जाए। राधव चाहत की उलझनों को बहोत अच्छे से समझता था। पर उसे यह समझ नहीं आ रहा था। चाहत को कैसे भरोसा दिलाउ। वो चाहत से कहता, Don't worry Yaar "अब कुछ गलत नहीं होगा और तुम्हारा भरोसा नहीं टूटेगा। यह सुनकर चाहत छुप हो जाती। राधव ने उसकी दोस्ती पर कोई फर्क पड़ने नहीं दिया। चाहत का भरोसा राधव ने टूटने ...और पढ़े

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