रामू उठ भोर हो गया कब तक सोते रहोगे जो सोता है वो खोता है जो जागता है पाता है रामू के कानो में ज्यो ही पिता केवल के शब्द सुनायी दिये गहरी निद्रा से जागा उसे ऐसे लगा वह एक नई ऊर्जा के साथ जिंदगी के एक नई सुबह कि शुरुआत पिता के आशीर्वाद से प्रारम्भ कर रहा है।रामू तुरंत दैनिक क्रिया से निबृत्त होकर अपने अध्ययन में जुट गया यही प्रक्रिया उसके जीवन कि शैली थी प्रतिदिन पिता केवल उसे चार बजे ब्रह्म बेला में लगभग चार बजे उठाते और वह सात बजे तक अध्ययन करता और आठ बजे तक तैयार होकर उसे स्चूल जाना होता और पिता के केवल अपनी दिहाड़ी मजदूरी पर निकलते।दिन इसी तरह से बीतता पिता केवल जब भी खुद खाली होते रामू को पास बैठते और उसके बचपन के कोमल मन मस्तिष्क पर एक सशक्त सफल इंसान बनने के लिये उसे धार देते रहते।

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मजदूर - भाग 1

रामू उठ भोर हो गया कब तक सोते रहोगे जो सोता है वो खोता है जो जागता है पाता रामू के कानो में ज्यो ही पिता केवल के शब्द सुनायी दिये गहरी निद्रा से जागा उसे ऐसे लगा वह एक नई ऊर्जा के साथ जिंदगी के एक नई सुबह कि शुरुआत पिता के आशीर्वाद से प्रारम्भ कर रहा है।रामू तुरंत दैनिक क्रिया से निबृत्त होकर अपने अध्ययन में जुट गया यही प्रक्रिया उसके जीवन कि शैली थी प्रतिदिन पिता केवल उसे चार बजे ब्रह्म बेला में लगभग चार बजे उठाते और वह सात बजे तक अध्ययन करता और आठ ...और पढ़े

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मजदूर - भाग 2

रामू अपने कार्यालय में एक दिन सुबह ठीक दस बजे पंहुचा आये पत्रों को और समस्याओं को पढ़ता शुरू और उसके उचित निदान का निर्देश अपने पी आर ओ को देता जाता ।एका एक रामू की निगाह एक बंद लिफ़ाफ़े पर पड़ी जिसकेप्रेषक का नाम लिखा था रामानुजम तोतादृ अर्नाकुलम केरल जल्दी जल्दी बंद लिफ़ाफ़े को खोलता है और पत्र पढना शुरू करता है पत्र में तोताद्रि जी ने लिखा था ----प्रिय रामूमैं आज बड़े ही भारी उदास मन से नितांत अकेले बैठा हुआ हूँ शांति इतनी कि साँस लेता हूँ तोखुद के स्वांस की आवाज़ पवन के तूफान ...और पढ़े

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