रात के दो(2) बज रहे थे और रितिक अपने दोस्त अमर के साथ कार ड्राइव कर रहा था। कार तेज स्पीड के साथ अपने रास्ते पर भागी जा रही थी। चारो ओर गहरा अंधेरा पसरा हुआ था। आस पास ना तो कोई घर था और ना ही कोई दुकान। अमर विंडो से बाहर देखते हुए रितिक से कहता है," लगता है अमरपुरा के जंगल शुरू होने वाले है, एक काम कर, आगे हनुमान जी का मंदिर पड़ेगा, थोड़ी देर के लिए कार वहीं रोक लेना। हम बिना मंदिर के दर्शन किए आगे नहीं जा सकते।" रितिक हामी में अपना सिर हिलाते हुए जवाब देता है," हा ठीक है लेकिन मुझे नहीं लगता मंदिर के कपाट अभी भी खुले होंगे।" " इस मंदिर के कपाट हमेशा खुले रहते है। यहां से आने जाने वाले लोग बिना हनुमान जी के दर्शन किए आगे नहीं जाते। कहते है जो इंसान बिना हनुमान जी का आशीर्वाद लिए आगे जाता है, उसके साथ बहुत सी आजीब चीज़े होती है।"
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बंजारन - 1
रात के दो(2) बज रहे थे और रितिक अपने दोस्त अमर के साथ कार ड्राइव कर रहा था। कार स्पीड के साथ अपने रास्ते पर भागी जा रही थी। चारो ओर गहरा अंधेरा पसरा हुआ था। आस पास ना तो कोई घर था और ना ही कोई दुकान। अमर विंडो से बाहर देखते हुए रितिक से कहता है," लगता है अमरपुरा के जंगल शुरू होने वाले है, एक काम कर, आगे हनुमान जी का मंदिर पड़ेगा, थोड़ी देर के लिए कार वहीं रोक लेना। हम बिना मंदिर के दर्शन किए आगे नहीं जा सकते।"रितिक हामी में अपना सिर हिलाते ...और पढ़े
बंजारन - 2
अमर के बार बार मना करने पर भी रितिक उसकी एक नहीं सुनता और जल्दी से उस जगह पर जाता है जहां उसने उस लड़की को बेहोश पड़ा देखा था। हाईवे के साइड में ही एक लड़की बेहोश पड़ी हुई थी, जिसकी उम्र लगभग चौबीस(24) थी। उसने लाल रंग का लहंगा और काले रंग की चोली पहनी हुई थी। उसने माथे पर लाल बिंदी और हाथ में लाल चूड़ियां पहनी हुई थी, वो किसी दुलहन की तरह सजी हुई थी। चांद की रोशनी उस लड़की के चहरे पर पड़ रही थी जो उसकी सुंदरता में चार चांद लगा रही ...और पढ़े
बंजारन - 3
रोमियो की बात सुन अमर और रितिक काफी ज्यादा हैरान हो गए थे। उन दोनो को हैरान परेशान देख चिड़ते हुए रोमियो से कहता है–" अबे साले तेरा मुंह कभी बंद रहता है या नही, हर समय फालतू बकवास करता रहता है। वो दोनो अभी अभी यहां आए है और तू पहले ही उन्हें डरा रहा है।" इतना कहकर करन रितिक और अमर से कहता है–" इसकी बात पर ध्यान मत दो, ये तो कुछ भी बोलता रहता है।" " मुझे क्या पता था ये दोनो इतने डरपोक निकलेंगे, मैं तो बस इन्हे वार्न कर रहा था ताकि रात ...और पढ़े
बंजारन - 4
चांदनी शौक में ही थी कि तभी शालिनी की नजर उस पर पड़ती है और वो भी कंफ्यूज हो है। शालिनी चांदनी से पूछती है–" क्या हुआ?"चांदनी सामने की ओर इशारा करती है, शालिनी चांदनी के इशारे की ओर देखती है तो उसे कुछ दिखाई नहीं देता है सिवाय दो लड़कों के जो एक बरगद के पेड़ के नीचे खड़े आपस में बाते कर रहे थे। शालिनी फिर चांदनी से पूछती है–" कुछ भी तो नहीं है वहा।"" वो लड़के देख रही है।" चांदनी की बात सुन शालिनी की नजर भी उन दोनो लडको पर जाती है और वो ...और पढ़े
बंजारन - 5
मोहन को तलवार लाने का ऑर्डर देते देख रोमियो और करन की तो हालत ही खराब हो गई थी। तो बेचारे अपने दोस्तो के साथ यहां आए थे, इस बात से उनका क्या वास्ता कि उसके दोस्त क्या करते है?, रोमियो को तो अपनी दादी की कही बात याद आ रही थी जब वो उससे कहा करती थी कि अपने नालायक दोस्तो का साथ छोड़ दे, किसी दिन ये लोग तुझे भी अपने साथ ले डूबेंगे लेकिन उसने उनकी एक ना सुनी और आज अपनी ही कर्मी का फल था कि ठाकुर साहब की तलवार उसके गले पर अटक ...और पढ़े
बंजारन - 6
कब्र को देख रितिक और अमर काफी ज्यादा हैरान थे।रितिक हैरानी के साथ अमर से कहता है–" तुझे क्या है ये सब किसने किया होगा?"इस पर रोमियो जवाब देते हुए कहता है–" और किसने किया होगा, ये काम तो सिर्फ बंजारन ही कर सकती है।"रितिक कन्फ्यूजन के साथ उससे पूछता है–" ये बंजारन कौन है?"रोमियो करन की ओर घूरते हुए कहता है–" मैं तो कल रात ही बताने वाला था लेकिन मेरी सुनता कौन है?"अमर चिड़ते हुए रोमियो से कहता है–" अरे हा हा ठीक है अब तू बताएगा भी ये बंजारन कौन है?"" हा हा बता रहा हुं, ...और पढ़े
बंजारन - 7
अमर फावड़ा लेकर कब्र के पास जाता है और कब्र का मुआयना करने लगता है। अमर को इस तरह कब्र घूरता देख रोमियो चिड़ते हुए उससे कहता है–" अबे ऐसे क्या देख रहा है उसे? ,नाप तो ऐसे ले रहा है जैसे कोई दर्जी किसी लड़की का लेता हो।"" हा हा खोद रहा हूं, बस एंगल चैक कर रहा था, तू नही समझेगा, तूने कभी खुदाई नही करी ना।" अमर कहता है और अमर की बात सुन रोमियो हस्ते हुए उससे कहता है–" बेटा खोदना और...."" चुप एक दम, पता नही क्या क्या भरा रहता है तेरे दिमाग से? ...और पढ़े
बंजारन - 8
रितिक कोठी की ओर तो बड़ गया था लेकिन उसे ये नही पता था कि जंगल में आए उसे देर हो गई थी और अब रात के ग्यारह(11) बज चुके थे। उधर कब्र का काम भी खतम हो चुका था और मोहन, दोनो आदमी और ठाकुर साहब के साथ कब्र के पास ही खड़ा था। तीनो के चहरों पर एक शांति छाई हुई थी। तीनो शांत खड़े बस कब्र को ही देखे जा रहे थे। मोहन कभी तो ठाकुर साहब को देखता तो कभी कब्र को। मोहन को तो समझ ही नही आ रहा था कि उसके मालिक इतने ...और पढ़े
बंजारन - 9
रात के तीन(3) बज रहे थे और मनोज अमरपुरा के जंगलों को पार कर रहा था। चारो ओर गहरा छाया हुआ था। जंगल के ऊपर आसमान में काले बादल मंडरा रहे थे जिन्हे देखकर ऐसा लग रहा था मानो वे किसी भी पल बरस सकते हो। मनोज कोई और नहीं बल्कि तारपुरा गांव के सरपंच " वीरेंद्र चौधरी " का बेटा था, जिसकी रितिक ने कुछ घंटों पहले ही धुनाई की थी। मनोज घायल था और उसके मुंह से अभी तक खून निकले जा रहा था। वो मन ही मन रितिक को गालियां दे रहा था, क्योंकि रितिक ही ...और पढ़े
बंजारन - 10
शालिनी की बात सुनकर रितिक का तो रोना ही निकल आता है। लेकिन फिर भी वो जल्दी से किसी का डायलॉग सोचता है और फिर से अपनी बात दोहराता है–" आप हाथ मत जोड़िए, आप बड़े है मुझसे और रही बात आपकी इज्जत की तो हर खानदान की इज्जत उसकी मां बेटियां होती है और किसी की मां बेटियों के साथ गलत होते हुए मै कैसे देख सकता हूं? मैं भी इंसान हूं और ये सब मैने इंसानियत के नाते ही कीया है।" रितिक की बात सुन ठाकुर साहब के चहरे पर एक मुस्कान आ जाती है और उनके ...और पढ़े
बंजारन - 11
रितिक और अमर आपस में बाते कर रहे थे और उधर वीरेंद्र अपने आदमियों से कहता है–" लाश को में डाल दो।" वीरेंद्र की बात सुन वाहा खड़े दो आदमी आगे आते है और लाश पर एक सफेद कपड़ा डालकर जीप में रखने लगते है। वे अभी लाश को जीप में रख पाते इससे पहले ही वहा पुलिस मे हॉर्न की आवाज सुनाई देती है। हॉर्न की आवाज सुन सब लोग आवाज की दिशा की ओर देखने लगते है। पुलिस की जीप से एक बहुत ही खूबसूरत लड़की निकलती है जिसने पुलिस की बर्दी पहनी हुई है और जिसके ...और पढ़े
बंजारन - 12
चांदनी शालिनी की ओर इशारा करते हुए प्रीत से कहती है–" दीदी, ये मेरी दोस्त शालिनी है।" चांदनी की सुन प्रीत मुस्कुराते हुए शालिनी से कहती है–" तुमसे मिलकर अच्छा लगा।" शालिनी भी मुस्कुराते हुए जवाब देती है–" मुझे भी आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा।" ठाकर साहब प्रीत के पास आते है और उससे कहते है–" क्या तुम दोनो पहले से एक दूसरे को जानती हो?" इस पर चांदनी जवाब देती है–" हा चाचा जी, इनका नाम प्रीत है, ये मेरी बुआ जी की लड़की है।" चांदनी की बात सुन ठाकुर साहब के चहरे पर एक मुस्कान आ जाती ...और पढ़े
बंजारन - 13
रितिक और उसके दोस्त टेबल पर बैठे हुए थे। तभी वहा एक वेटर खाना रख कर चला जाता है। बाद वे चारो लोग खाना खाने लगते है। सभी लोग आपस में हसी मजाक कर रहे थे। अमर रोमियो से कहता है–" वैसे तेरी कमली मैडम कहा है?, कब मिलवा रहा है हमे उससे?" रोमियो हस्ते हुए कहता है–" पहले मेरी सैटिंग तो हो जाने दे। उसके बाद तुम सब से भी मिलवाऊंगा।" अमर हस्ते हुए कहता है–" फिर तो हम मिलने से रहे।" अमर की बात सुन रोमियो चिड़ते हुए उससे कहता है–" कहना क्या चाहता है तू?" " ...और पढ़े
बंजारन - 14
कमली की बात सुन रितिक और उसके दोस्त तुरंत स्कूल से बाहर निकल आते है। स्कूल से बाहर आते रोमियो रितिक पर बरस पड़ता है। रोमियो गुस्से के साथ रितिक से कहता है–" क्या कहा था तूने कमली से? मेरे अंदर दिमाग नही है, मुझे लड़कियों से बात करने की तमीज नही है, तुम लोग ना दोस्ती के लायक ही नहीं हो। मेरी बात कराने के बजाए उल्टा मेरी बेज्जती कर रहे थे।" रितिके रोमियो को समझाते हुए कहता है–" तू परेशान मत हो, कमली के मन में बस एक गलतफहमी है। जिस दिन वो गलतफहमी दूर हो जाएगी ...और पढ़े
बंजारन - 15
ताला टक्क की आवाज के साथ टूट जाता है। रितिक उस दरवाजे को धक्का देता है और दरवाजा चरमराते खुल जाता है। दरवाजे के खुलते ही एक ठंडी हवा का झोका बाहर आता है। रितिक धीमे कदमों के साथ कमरे के अंदर दाखिल हो जाता है। कमरे में चारो ओर धूल जमी हुई थी। जगह जगह मकड़ी ने जाले बना लिए थे। कमरे में ना तो कोई बैड था और ना ही कोई टेबल। पूरा कमरा खाली थी। टॉर्च की रोशनी में रितिक कमरे के हर कोने को चैक करता है लेकिन उसे वो लड़की कही भी नजर नहीं ...और पढ़े