सीरियल क्या संस्कार दे रहे हैं

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सावित्री,सीता,गांधारी न जाने कितनी स्त्रियी के पतिव्रता धर्म,प्रेम,त्याग और बलिदान से हमारे पौराणिक ग्रन्थ भरे पड़े है। हमारे देश मे मान्यता है कि मर्द औरत का रिश्ता जन्म से पहले ही तय हो जाता है।शादी के बाद औरत की जिस घर मे डोली जाती है,उस घर से उसकी अर्थी ही उठत्ती है।इसका बहुत ही सीधा और सरल मतलब है कि शादी के बाद मर्द औरत पूरे जीवन के लिए एक सूत्र में बंध जाते है।उन्हें पूरा जीवन साथ गुजारना होता है। लड़की को हमारे यहां बचपन से ही पतिव्रता धर्म कज शिक्षा दी जाती है।लड़की को मा बचपन से ही सिखाती है कि शादी के बाद तन मन से पति के प्रति समर्पित रहना।पति को ही सर्वस्य मानना। औरत की इसी छवि के दर्शन हमे हमारे यहां की पुरानी फिल्मों में होते थे।पुरानी फिलमो में हीरोइन यानी नायिका की छवि एक ऐसी औरत की होती थी।जो प्रेम,त्याग,दया,सौम्यता की मूर्ति हुआ करती थी।सुहागन,खानदान, खिलौना,दिल एक मंदिर ऐसी फिल्मों की पूरी कतार है।पहले की फिल्मों में प्रतिशोड की भावना नजर नही आती थी। समय के साथ समाज बदला तो फिल्मों में भी नायिका जम का यह चरित्र बदलता चला गया।सिगरेट और शराब पीना,क्लबो में जाना और पराये मर्दो से सम्पर्क बनाना और अनेक बुराइयां फिल्मों की नायिका और सहनायिका में दिखाई जाने लगी।पहले नायिका व अन्य स्त्री पात्रों का शरीर ढका रहता था। लेकिन आज कपड़ो का अभाव है।

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सीरियल क्या संस्कार दे रहे हैं - 1

सावित्री,सीता,गांधारी न जाने कितनी स्त्रियी के पतिव्रता धर्म,प्रेम,त्याग और बलिदान से हमारे पौराणिक ग्रन्थ भरे पड़े है।हमारे देश मे है कि मर्द औरत का रिश्ता जन्म से पहले ही तय हो जाता है।शादी के बाद औरत की जिस घर मे डोली जाती है,उस घर से उसकी अर्थी ही उठत्ती है।इसका बहुत ही सीधा और सरल मतलब है कि शादी के बाद मर्द औरत पूरे जीवन के लिए एक सूत्र में बंध जाते है।उन्हें पूरा जीवन साथ गुजारना होता है।लड़की को हमारे यहां बचपन से ही पतिव्रता धर्म कज शिक्षा दी जाती है।लड़की को मा बचपन से ही सिखाती है ...और पढ़े

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सीरियल क्या संस्कार दे रहे है - 2

पहले केवल फिल्में ही मनोरंजन का साधन थी।बाद में छोटा पर्दा यानी टी वी आया।पश्चिम में तो बहुत पहले गया था।पर हमारे यहाँ जरा देर में आया।वो भी सीमित लोगो तक ही सीमित रहा।नब्बे के दशक में इसका विस्तार होना शुरू हुआ।और धीरे धीरे इसने घर घर मे जगह बना ली।आज हालात यह है कि फिल्मों से ज्यादा छोटा पर्दा ज्यादा लोकप्रिय हो गया है।और आजकल टी वी के अलावा मोबाइल,लेपटॉप,कम्पूप्यूरटर आदि भी आ गए है।यह भी टी वी का काम भी कर रहे है।ये सभी माध्यम मनोरंजन करने के साथ समाज को प्रभावित भी कर रहे है।हर चेंनल ...और पढ़े

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