गृहस्थ संन्यासी

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एक बुक है जिसका में जिक्र कर रहा हूं। गृहस्थ संन्यासी जो बहुत पोपुलर है, जिसका आज सेमिनार आयोजित किया गया है और उसमें उसके लेखक खुद प्रस्तुत होने वाले हैं, जो स्टेज पर जा कर बुक के विषय मे बताने वाला हैं, उसकी राह देखते हुए पत्रकार और उसके चाहक बहुत तल्लीनता से उसके आने का इंतजार कर रहे हैं। तभी माइक में घोषणा होती है कि अभी अभी खबर मिली है की वो आ रहे हैं बहुत जल्द आपके समक्ष प्रस्तुत होंगे और अपने शब्दो में अपनी किताब के बारेमे बताएंगे। तभी दरवाजे खुलने की आवाज सुनाई दी, लोग इधर उधर देखने लगे और तभी एक 70 साल का बुजुर्ग इंसान अपने तीन पेरो के सहारे धीरे धीरे आ रहा है। आतेही उसका सम्मान किया जाता है। वो अपने जुके हुए हाथो को थोड़ा जोर दे कर माइक को अपने मुंह से लगा कर कहता है। आप सब कैसे हैं? सब भी अपनी ओर से जवाब देते हैं, बहुत अच्छे। अपनी किताब के बारे में बताते हुए कहता है कि! यह बुक मैने किसी और पर नहीं बलकि खुद ही पर लिखी है मेरी जो सोच है कि कोई भी स्त्री किसिभी पुरुष को प्रभावित करती है तो वे सिर्फ और सिर्फ़ अपने बाह्य सुंदरता और उसको ढके वस्त्रों से ही करती है।

नए एपिसोड्स : : Every Monday & Wednesday

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गृहस्थ संन्यासी - भाग 1

एक बुक है जिसका में जिक्र कर रहा हूं। गृहस्थ संन्यासी जो बहुत पोपुलर है, जिसका आज सेमिनार आयोजित गया है और उसमें उसके लेखक खुद प्रस्तुत होने वाले हैं, जो स्टेज पर जा कर बुक के विषय मे बताने वाला हैं, उसकी राह देखते हुए पत्रकार और उसके चाहक बहुत तल्लीनता से उसके आने का इंतजार कर रहे हैं। तभी माइक में घोषणा होती है कि अभी अभी खबर मिली है की वो आ रहे हैं बहुत जल्द आपके समक्ष प्रस्तुत होंगे और अपने शब्दो में अपनी किताब के बारेमे बताएंगे। तभी दरवाजे खुलने की आवाज सुनाई दी, ...और पढ़े

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गृहस्थ संन्यासी - भाग 2

ऐसे ही दिसंबर महीने में उसकी प्रशिक्षण की तैयारी शुरू कर दी जाती हैं और वे जनवरी से अपनी की शुरुआत करती है। अब जब वे नौकरी जाने लगती है, तो उसका सुमित से बात करना कम हो जाता है। पुरादिन वे नौकरी पर और रात को थकी हुई होने से सो जाती हैं, अब इस तरफ बात कम होती है और उसी के दफ्तर में आते हुए एक कर्मचारी से मुलाकात होती हैं रोज़ नोकरी की वजह से दोनो का मिलना बढ़ रहा था और यहां बात कम और जगड़े बढ़ रहे थे कुछ ही दिनों में उसने ...और पढ़े

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गृहस्थ संन्यासी - भाग 3

वे घर छोड़कर आ गया था उसके पास कुछ भी नहीं था। वो अकेला चाय की टपरी पर जाता और चाय पिता है अब आसपास के लोग उसे जानते थे तो वे पैसे नहीं लेते। वो उस रात चाय की टपरी के पास ही सो जाता हैं उसे उस रात के अनुभव से चाय की टपरी खोलने का ख्याल आया उसने अपने दोस्तो से मदद लें कर नदी के किनारे बगीचे के पास चाय की टपरी खोली धीरे धीरे वो जमने लगी। आया दिन वो अपने बेटे को देखने स्कूल जाया करता था एक रोज उसका बेटा स्कूल नहीं ...और पढ़े

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गृहस्थ संन्यासी - भाग 4

देखते है आगे की सुमिन और सुनंदा के रास्ते अलग हो जाते है या वापस नई शुरू आत करते के बरेमे ये सब सुनकर सुमित रह ना सका और जाकर राहुल का कॉलर पकड़ लिया उसे बोला कि चाहें जो भी हो तुम ने इसके साथ जो भी किया वो तुम इन लोगो के सामने बोलकर उसकी इज्जत उतार रहे हों, तो ये बात तुम्हारी पत्नी को भी पता होनी चहिए, सुमित ने आवाज़ लगाई जैमिनी सुना तुमने ये सब? सुमित ने पहले ही राहुल की पत्नी को बता दिया था तभी वहा जैमिनी आ पहुंची उसने आते ही ...और पढ़े

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