भारत के वीर योद्धा

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जाम श्री अबडा जी कच्छ के एक छोटे जागीरदार थे। अबडा जी अबडा-अडभंग (कभी वचन ना तोड़ने वाले) के नाम से जाने जाते थे। उमरकोट में तब सुमरा वंश का शासन था। वहा दो भाई घोघा सुमरा और चनेशर सुमरा के बीच तकरार होने के कारण चनेशर सुमरा दिल्ली के बादशाह अलाउद्दीन खिलजी के पास चला गया, और खिलजी के पास मदद मांगी की वहा उमरकोट में मेरा राज्य घोघा ने छीन लिया है, अगर आप मेरी मदद करेंगे तो आप को सुंदर सुमरी स्त्रिया दिल्ली ले आने का मोका मिलेंगे। हवस के अंधे खिलजी ने चनेसर का साथ देने के लिए बडी सेना लेकर घोघा पर आक्रमण करने निकल गया। खिलजी ने अपने सरदार हुसैन खान को घोघा के पास भेजा की अगर वोह शांति से सुमरियो का निकाह करवाने को कहा, मगर घोघा ने साफ साफ मना कर दिया और युद्ध के लिए तैयार हुआ, जाते जाते अपने विश्वास पात्र नोकर 'भाग' को कहा की "कच्छ में जाम अबडा अडभंग वीर पुरुष है, वह अपने शरण में आए हुए को हमेशा रक्षण करेंगे इसीलिए अगर हम ना बचे तो सभी सुमरी स्त्रियों को लेकर उनकी शरण में जाना।" युद्ध में घोघा को सरदार हुसैन खान ने मार गिराया और अपने जूते से उसके शव को लात मारी। यह देखकर चनेसर का भ्रातृप्रेम उभर आया और उसने हुसैन खान का सिर धड़ से अलग कर दिया। तभी पीछे खड़े सिपाही ने चनेसर को भी मार डाला।

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भारत के वीर योद्धा - 1 - शरणागत रक्षक जाम श्री अबडा अडभंग

जाम श्री अबडा जी कच्छ के एक छोटे जागीरदार थे। अबडा जी अबडा-अडभंग (कभी वचन ना तोड़ने वाले) के से जाने जाते थे। उमरकोट में तब सुमरा वंश का शासन था। वहा दो भाई घोघा सुमरा और चनेशर सुमरा के बीच तकरार होने के कारण चनेशर सुमरा दिल्ली के बादशाह अलाउद्दीन खिलजी के पास चला गया, और खिलजी के पास मदद मांगी की वहा उमरकोट में मेरा राज्य घोघा ने छीन लिया है, अगर आप मेरी मदद करेंगे तो आप को सुंदर सुमरी स्त्रिया दिल्ली ले आने का मोका मिलेंगे।हवस के अंधे खिलजी ने चनेसर का साथ देने के ...और पढ़े

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