मेरी कहानी का शीर्षक पढ़ कर आप सब सोच रहे होगें की लो एक और प्रेम कहानी!! मैं आप सब से सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा कि ये है तो प्रेम पर कैसा?? वो आप पर छोड़ता हूँ। मैं प्रकाश हूँ, एक प्राइवेट कंपनी में काम करता हूँ। घर की आर्थिक स्थिति और जिम्मेदारियों ने वक्त से पहले ही आत्मनिर्भर बना दिया। जब मेरे दोस्त कॉलेज मे मस्ती करते थे तब मैं बस कमा रहा था। पापा का असमय जाना, भाई बहन की पढ़ाई और बाकी जरूरते पूरी करता 33 साल का हो गया पता ही नही चला था। छोटी बहन की शादी अच्छे से निपटा कर मैं चिंता से मुक्त हो गया था। यूँ तो साथ काम करने वालों से दोस्ती थी पर सिर्फ बाहर तक। आभासी दुनिया में भी काफी लोगों से जुड़ा था, बस वो भी एक टाइम पास जरिया था।
Full Novel
प्यार ऐसा भी - 1
ये कहानी एक ऐसे प्यार की है जो ज्योति के लिए सब कुछ था पर प्रकाश के लिए एक एक स्वार्थ की कहानी और भावनाओ से खिलवाड़ करने वाले की कहानी...... एक ऐसे लड़के की कहानी जो अपनी गलती कभी समझ ही नही पाया।मेरी पहली कहानी "स्त्री" को इतना प्यार देने के लिए आपका दिल से आभार .... इस कहानी को भी पढिएगा जरूर.. आपकी राय का इंतजार रहेगा ...प्यार ऐसा भी (भाग --1)मेरी कहानी का शीर्षक पढ़ कर आप सब सोच रहे होगें की लो एक और प्रेम कहानी!!मैं आप सब से सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा ...और पढ़े
प्यार ऐसा भी - 2
प्यार ऐसा भी--(भाग-3)ऐसा नहीं था कि मैंने पहले कभी किसी लड़की से बात नहीं की थी, और मैं सीधा था। इस आभासी दुनिया में मेरी कई महिला मित्र थी। जिनके साथ मेरा थोड़ा बहुत फ्लर्ट और प्यारी सी नोकझोंक चलती रहती थी । मैं दिखने में हैंडसम तो था ही,थोड़ा केयरिंग नेचर होने से लड़कियाँ जल्दी अपना मान भी लेती थी। इतना ही नहीं अपनी पर्सनल बातें और अपनी इच्छाओं को खुल कर कह देती । मैंने कभी किसी को उकसाया तो नहीं था पर कई बार आपसी रजामंदी और प्रयोग के नाम पर संबंध बना चुका था। ज्योति से बात करने ...और पढ़े
प्यार ऐसा भी - 3
किसी भी टॉपिक पर बात करता अपनी सोच के हिसाब से खुल कर अपनी बात कहती। " "अच्छा, ज्योति कोई बॉय फ्रैंड था"? एक दिन मैंने उसकी टाँग खींचते हुए पूछा, हालाँकि मैं जानता था कि उसका जवाब ना ही होगा। "हाँ था, वो बहुत गरीब परिवार से था, उसने सोचा कि इस विकलांग को प्यार और शादी का झाँसा दूँगा तो कुछ पैसा आ जाएगा, और हुआ भी यही, बस इतना है कि वो थोड़े से ही पैसे ले कर भाग गया"।मैं हैरान हो कर उसकी बातें सुन रहा था। वो परत दर परत अपने दिल की बात कहती ...और पढ़े
प्यार ऐसा भी - 4
उसका यूँ मेरी बात का जवाब दिए बिना ऑफलाइन हो जाना पसंद तो नहीं आया पर जब खुद को जगह पर रख कर सोचा तो बुरा लगना कम हो गया। फिर भी सारी रात ठीक से सो नहीं पाया। जब रोज के टाइम पर उसका गुड मार्निग का मैसेज नही आया तो मेरी सोच की डायरेक्शन भी बदल गई। मुझे लगा कि वो नाराज़ हो गई है। उसकै मैसेज और फोन आने का इंतजार कर पाना मुझे मुश्किल लगा पर फोन न करके मैसेज करना आसान लगा। कुछ देर में उसका जवाब आया कि आज सुबह फोन बंद हो गया था ...और पढ़े
प्यार ऐसा भी - 5
मैं उसको यूँ खुश देख कर अच्छा महसूस कर रहा था। अपनी असहजता को किनारे कर उसने भरपूर सहयोग वहाँ से आने के बाद हमारा भावनात्मक लगाव और बढ़ गया।मुझे लगने लगा कि मुझसे हर काम पूछ कर करे या बता कर करे। "तुम आम पतियों की तरह बिहेव मत किया करो"। कई बार हँसते हुए वो कहती तो मैं उसको कहता," पति हूँ बेशक अनऑफिशियल हूँ, तो पति जैसे बोलूँगा भी"।मैं हमेशा उसको कहता, "जो कमाती हो उसमे से कुछ अलग रखा करो, आगे तुम्हारे ही काम आएँगे"। उसका कहना" हमारा परिवार हमेशा मेरे साथ रहा है और ...और पढ़े
प्यार ऐसा भी - 6
प्यार ऐसा भी "तुम पागल हो?? तुम हमेशा मेरे साथ ऐसे ही रहोगी चाहे कुछ हो ! मेरे बिना तुम रह लोगी?? कभी नही "!! मैंने उससे सवाल कर जवाब भी खुद ही दे दिया। वो बोली," शादी तो करो फिर देखेंगे"। "हाँ देख लेना वैसे मेरी पूरी कोशिश होगी कि तुम्हे मेरी शादी का पता चले"। मुझे अपनी अक्ल पर गर्व तो है ही, बस उसको तुनक कर कह दिया।कहने को तो कह गया, पर मैं परेशान हो गया क्योंकि मैं ज्योति के साथ उम्र भर रह नही सकता,ये बात हालाँकि ज्योति पहले ही कह चुकी थी ...और पढ़े
प्यार ऐसा भी - 7
प्यार ऐसा भी ज्योति हमारे छोटे से घर में भी खुश थी। सब उसका ध्यान रखेंगे, था। मैंने उसको बिल्कुल टाइम नही दिया। सिर्फ इतना ही नहीं उसने जिस दिन वापिस आना था उसकी पहली रात उसने मेरे पूरे परिवार के साथ बाहर जाने के प्रोग्राम बनाया मुझ से पूछ कर।मैं "हाँ "बोल कर काम पर चला गया।शाम को घर आया तो मैैंने बाहर जाने से मना कर दिया। मैंने कहा कि मुझे दोस्त की शादी मैं जाना है। मेरे ना कहने से सब को बुरा लगा,पर मुझे तो आदत है ये सब करने की क्योंकि कमाता हूँ और ...और पढ़े
प्यार ऐसा भी - 8
प्यार ऐसा भी मैं 4-5 महीने से अपनी अक्लमंदी पर खुश और उसको पता नहीं चलने देने कोशिश में कामयाब हूँ ,से निश्चिंत रहा। वो इन दिनों काफी खोई -खोई सी रही। उन दिनों 1-2 बार हमेशा की तरह बाजार चलने को कहा तो मैंने टाल दिया। मैं जानता था कि वो जहाँ जाती है, वहाँ से अपने परिवार के बच्चों के लिए शॉपिंग करती है। कई बार मेरी बहन के लिए कुछ न कुछ लाती है, पर मुझे नफीसा से बात करनी थी।वैसे भी वो मेरे ऐसे आने से अकेला महसूस कर रही थी। वो अकेले कैसे अंजान जगह ...और पढ़े
प्यार ऐसा भी - 9
प्यार ऐसा भी मेरा यूँ रिक्वेस्ट करना भी बेकार गया। आज तुम मुझे सुनोगे बस, "तुम से बार पूछा मैंने की कोई पसंद आई है तो बताओ, तुम हर बार मना करते रहे। मैं इस गुमान में थी कि तुम मुझसे प्यार करते हो सो शादी तो तुम अरेंज ही करोगे !!! तुमने मुझे दोनो जगह गलत साबित किया"। वो गुस्से और ज्यादा बोलने से हाँफने लगी। मैंने उसको पानी पीने को बोला तो वो नहीं मानी। "मैं सरल और सीधी इंसान हूँ, इसलिए इतना समझती हूँ कि एक इंसान एक समय में सिर्फएक से प्यार कर सकता है , ...और पढ़े
प्यार ऐसा भी - 10 - अंतिम भाग
प्यार ऐसा भी "मेरे लिए आज भी तुम्हारी खुशी सबसे पहले है, इस बात यकीन करो"। मैनें उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा। "प्रकाश ये बात पुरानी हो गयी है कुछ नया कहो"। उसने ताना देते हुए कहा, जिसे मैं उस हाल में नज़र अंदाज कर गया। वो चलने को तैयार खडी थी, रिसेप्शन पर टैक्सी के लिए बोला ही हुआ था सो उसका भी फोन आ गया। " चलो चलते हैं अब" । जैसे ही चलने को हुई तो हमेशा की तरह बाथरूम चली गयी, ये उसकी आदत है।" मैं कई बार बोलता भी कि ऐन ...और पढ़े