अमीर हो या गरीब दोनो ही ईश्वर की रचना है। इस बात को झुठलाया नही जा सकता है कि ईश्वर की नजरो में सभी समान है चाहे वो अमीर हो या गरीब ,छोटा हो या बड़ा । ईश्वर हर इंसान की परीक्षा लेता है अगर इंसान उस परीक्षा में पास हो जाता है तो फिर उसको उसका फल भी मिलता है। अगर कोई इंसान उस परीक्षा में पास नही हो पाता है तो उसे उसका फल भी नही मिलता है। ईश्वर इंसान के सब्र का इम्तेहान लेता है। इस लिए इंसान को जो भी करना चाहिए पूरी ईमानदारी से करना चाहिए उसे ये सोचना चाहिए की हमे कोई देखे या ना देखे मगर ईश्वर हमे देखता है चाहे हम जो भी करे।

1

ईमानदारी का फल - 1

अमीर हो या गरीब दोनो ही ईश्वर की रचना है। इस बात को झुठलाया नही जा सकता है कि की नजरो में सभी समान है चाहे वो अमीर हो या गरीब ,छोटा हो या बड़ा । ईश्वर हर इंसान की परीक्षा लेता है अगर इंसान उस परीक्षा में पास हो जाता है तो फिर उसको उसका फल भी मिलता है। अगर कोई इंसान उस परीक्षा में पास नही हो पाता है तो उसे उसका फल भी नही मिलता है। ईश्वर इंसान के सब्र का इम्तेहान लेता है। इस लिए इंसान को जो भी करना चाहिए पूरी ईमानदारी से करना ...और पढ़े

2

ईमानदारी का फल - 2

फिर मनोहर ने उस सेठ का सामान उठाया और उसकी दुकान में रख दिया। और फ़िर सेठ ने मनोहर कुछ पैसे दिए और पूछा की तुम क्या करते हो। तो मनोहर ने बताया की सेठ जी में बहुत ही गरीब इंसान हु। में खेतो में काम करता था मगर अब मुझे कोई भी काम नही देता । जिसकी वजह से में अभी बेरोजगार हु । और कितने दिनों से मेरे बीवी और बच्चे भूखे है ।तब सेठ ने कहा की तुम मेरी दुकान में काम क्यू नही कर लेते । क्युकी मुझे तुम्हारे जैसे ही किसी ईमानदार इंसान की ...और पढ़े

3

ईमानदारी का फल - 3

मनोहर अब दुकान पर बैठ कर अच्छे से दुकान को संभाल रहा था। पूरा दिन मनोहर ने अच्छे से को संभाला और बिल्कलभी बेईमानी नहीं की । अब जब रात होने को आई तो सेठ भी आ गया। उसने पूरा हिसाब किताब देखा तो सब कुछ बिलकुल सही था। उसने फिर मनोहर को दिनभर की दिहाड़ी दी । ओर फिर मनोहर खुशी खुशी घर गया। उसने रास्ते से ही खाने का सामान ले लिया ओर खुशी खुशी से घर गया। ओर उसने खाने का सामान बीवी को दिया और बच्चो के साथ खेलने लगा और फिर जब खाना बन ...और पढ़े

4

ईमानदारी का फल - 4

अब मनोहर पर दुकान का और ज्यादा बोझ बढ़ गया क्योंकि सेठ जी ने एक और दुकान खोल दी। उसे भी मनोहर के हवाले कर दिया क्योंकि सेठ को मनोहर पर पूरा भरोसा था।इससे मनोहर की आमदनी भी बढ़ने लगीं क्योंकि पहले मनोहर पहले एक दुकान संभालता था अब दो। अब मनोहर के घर के हालात भी पहले से और अच्छे हो गए थे। उसके बच्चे भी अब अच्छे से पढ़ रहे थे।एक दिन अचानक से सेठ जी बीमार पड़ जाते हैं। तब उनको देखने वाला कोई भी नही होता उनके बच्चे भी उन्हे छोड़ के चले जाते हैं। ...और पढ़े

अन्य रसप्रद विकल्प