ये काहाणी दो दोस्तों की हे जो एक दोसरे को समज पाते थे तो हम काहाणी शुरु करते हे ये काहाणी पुना से शुरु होती हे वाहा पे एक लडका रहेथा था उसका नाम दिपक था और उसके दोस्त का नाम आकाश था आज आकाश का रिझल्ट था और वो दसवी मे था और वो फेल हो गया था तब उसके बाबाने उसे दुकान सभालने छोड दिया तब दिपक उसके दुकान पे गया तब वो बोलता हे मुझे पता हे तुम्हारे साथ क्या होवा तब आकाश बोला दिपक तोम school जावो तब दिपक चला जाता हे तब दिपक हर रोज
Full Novel
यार तुणे क्या किया
ये काहाणी दो दोस्तों की हे जो एक दोसरे को समज पाते थे तो हम काहाणी शुरु करते हे काहाणी पुना से शुरु होती हे वाहा पे एक लडका रहेथा था उसका नाम दिपक था और उसके दोस्त का नाम आकाश था आज आकाश का रिझल्ट था और वो दसवी मे था और वो फेल हो गया था तब उसके बाबाने उसे दुकान सभालने छोड दिया तब दिपक उसके दुकान पे गया तब वो बोलता हे मुझे पता हे तुम्हारे साथ क्या होवा तब आकाश बोला दिपक तोम school जावो तब दिपक चला जाता हे तब दिपक हर रोज ...और पढ़े
यार तुणे क्या किया - 2 - अंतिम भाग
काहाणी शुरु करते हे पिछले अध्याय मे हमणे देखा की दिपक को समज आता हैं आकाश गलत नहीं था गलत थी तो अब हम देखेगे आगे क्या होवा दो महिने गणपती आगए थे तब मानसी बोलती हे दिपाली दिपक कहा हे तब दिपाली बोलती हे क्यो तब मानसी बोलती हे अरे गणपती बाप्पा को लाने जाना है तब दिपक आता हे और वो बोलता हे जब गणपती आए और मे नहीं आवो ये कभी भी नहीं हो सकता तब दोनो चले जाते हे तब आकाश आता हे और वो बोलता हे दिपक कैसे हो तब दिपक कोछ नहीं बोलता ...और पढ़े