ये कहानी है एक किसान की , उसके संघर्ष की , उसके सब्र की और उसके इम्तिहानों की .…....। गांव से कुछ किलोमीटर की दूरी में पांच एकड़ का खेत था , जो कि रामलाल का था । खेत में बैठा रामलाल ,अपनी बेटी माधुरी के साथ दोपहर का खाना खा रहा था। खाने में कुछ खास तो नहीं था , सिर्फ कुछ सूखी रोटी और आम का अचार और साथ में दो प्याज और उसके साथ में नमक था । पर उसे भी वह और उसकी बेटी बड़े चाव से , आम के पेड़ के नीचे बैठे खा रहे थे । क्योंकि दोनों ही सुबह छः बजे से खेतो में काम करने में लगे थे और अब एक बजे के करीब जब वे तो थोड़ा थक गए , तो आकर खाना खाने लगे । अब जब मेहनत जम के की हो , तो खाने में जो भी मिल जाए , तो भूखा पेट सब कुछ बड़े ही चाव से खा लेता है । भले ही रोटियों में घी लगा हो , या ना लगा हो । खैर खाना ख़त्म करने के बाद रामलाल वहीं पर , अपना गमछा बिछा कर लेट गया , और माधुरी बर्तनों को साइड में रखकर फिर से खेत के कामों में लग गई ।
Full Novel
मेरी मिट्टी मेरा खेत - ( भाग - 1 )
ये कहानी है एक किसान की , उसके संघर्ष की , उसके सब्र की और उसके इम्तिहानों की .…....। से कुछ किलोमीटर की दूरी में पांच एकड़ का खेत था , जो कि रामलाल का था । खेत में बैठा रामलाल ,अपनी बेटी माधुरी के साथ दोपहर का खाना खा रहा था। खाने में कुछ खास तो नहीं था , सिर्फ कुछ सूखी रोटी और आम का अचार और साथ में दो प्याज और उसके साथ में नमक था । पर उसे भी वह और उसकी बेटी बड़े चाव से , आम के पेड़ के नीचे बैठे खा रहे ...और पढ़े
मेरी मिट्टी मेरा खेत - ( भाग - 2 )
रामलाल और उसकी बेटी घर आ चुके थे । लेकिन उनके घर आते ही, झमाझम बारिश शुरू हो चुकी । बारिश लगातार एक हफ्ते तक चलती रही । पर अगर सिर्फ बारिश ही होती, तो उतना नुकसान नहीं था । लेकिन उसी एक हफ्ते के बीच, दो बार झमाझम बारिश के साथ ही , ओले भी गिरे । जिससे रामलाल और उसका पूरा परिवार चिंता में आ गया था । एक हफ्ते बाद बड़ी मुश्किल से बारिश रुकी , और उस दिन बादल छट गए थे । सुबह की धूप भी खिलखिला रही थी । पर ये नई धूप ...और पढ़े
मेरी मिट्टी मेरा खेत - ( भाग - 3 )
पानी में भीगने की वजह से अब रामलाल बुखार से तप रहा था । माधुरी और सुशीला ने उसे पर लिटाया और रघु डॉक्टर को बुलाने चला गया । डॉक्टर अभी नया - नया गांव की लोगों की, परेशानियों को हल करने के लिए , भेजा गया था । रघु के साथ डॉक्टर आ गया और उसने रामलाल को चैक किया । उसने रामलाल को चैक करके सभी से कहा । मोहित ( डॉक्टर ) - क्या इन्हें कोई टेंशन.... , मेरा मतलब है कोई चिंता है क्या ? क्योंकि इन्हें बुखार सिर्फ बरसात में भीगने से नहीं हुआ ...और पढ़े
मेरी मिट्टी मेरा खेत - ( भाग - 4 )
लगभग एक महीना बीत गया , तीनों को साहूकार के खेतों में काम करते हुए । पर घर में की बचत के नाम पर , सिर्फ दो सौ रुपए बचे थे । जिससे आज की महंगाई में, सिर्फ कुछ मिर्च मसाले और कुछ तरकारी ( सब्जी ) आ सकती थी । खैर, तब भी वो लोग मन लगा कर लगन से , काम कर रहे थे । और साहूकार , उनकी इसी लगन और मजबूरियों के चलते , खूब काम कराए जा रहा था । पर उनका मजदूरी का पैसा , नहीं बढ़ा रहा था। एक दिन सुशीला के ...और पढ़े
मेरी मिट्टी मेरा खेत - ( भाग - 5 ) - अंतिम भाग
जगमोहन की बात सुनकर सभी हतप्रभ थे । वहां खड़े कुछ गांव वालों ने , जगमोहन की बात का किया । क्योकि गांवों में आज भी , लड़की की इज्जत और दहेज एक समान ही होते हैं । दोनों को खानदान के और मुखिया के , इज्जत और स्वाभिमान से जोड़ा जाता है । माधुरी ये बात बहुत अच्छे से जानती थी , कि उसके पिता के लिए उनके खेत की जमीन , एक तरह से उनके बूंद - बूंद पसीने से कमाई पूंजी है । जिसे अगर उसके पिता ने खो दिया , तो ज़िन्दगी में कभी उसका ...और पढ़े