सर्दियां शुरू हो चुकी थी, रात जल्दी होती जा रही थी। आफिस का अपना सारा काम निपटाकर आदिल घर आ पहुंचा था और अपना डिनर भी खत्म कर अपने रूम में भी पहुंच गया था। रात के करीबन १० बजे का वक़्त हो चला था। उसने अपना फ़ोन चार्जिंग से निकाला जो पहले से ही चार्जिंग पर पड़ा था। "आज रात मैं तुम्हे जल्दी नही सोने दूंगा।" अपना फ़ोन अनलॉक कर, फेसबुक और व्हाट्सएप्प के ज़माने में उसने टेक्स्ट मैसेज टाइप किया और भेज दिया।
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सफ़रनामा: यादों का एक सुनहरा दौर - भाग १
प्रेम की पराकाष्ठासर्दियां शुरू हो चुकी थी, रात जल्दी होती जा रही थी। आफिस का अपना सारा काम निपटाकर घर आ पहुंचा था और अपना डिनर भी खत्म कर अपने रूम में भी पहुंच गया था। रात के करीबन १० बजे का वक़्त हो चला था। उसने अपना फ़ोन चार्जिंग से निकाला जो पहले से ही चार्जिंग पर पड़ा था। "आज रात मैं तुम्हे जल्दी नही सोने दूंगा।" अपना फ़ोन अनलॉक कर, फेसबुक और व्हाट्सएप्प के ज़माने में उसने टेक्स्ट मैसेज टाइप किया और भेज दिया।"क्यो?" एक बेहद ही छोटा सा मगर सीधा सवाल मैसेज के रूपमें अगले ही पल ...और पढ़े
सफ़रनामा: यादों का एक सुनहरा दौर - भाग २ - निर्दोष
शामलाजी, गुजरात-राजस्थान बॉर्डर पर गुजरात के अरवल्ली जिले में स्थित एक छोटे से कस्बे में पिछले कुछ दिनों से हलचल थी। नया साल बस १ दिन की दूरी पर था और अरवल्ली पुलिस को बड़ी मात्रा में कोई अवैध दारू की तस्करी होने की सूचना अपने सूत्रों द्वारा मिली थी। इस तस्करी को रोकने के लिये शहरी पुलिस ने हाईवे पर चुस्त बंदोबस्त किया था ताकि, कोई भी वाहन बिना पुलिस चेकिंग वहां से गुज़र न सके।इस चुस्त बंदोबस्त के पीछे की एक प्रमुख वजह यह थी कि, कुछ दिनों पहले डिलक्स गैस जो गुजरात की रसोईया गैस उपलब्ध ...और पढ़े
सफ़रनामा: यादों का एक सुनहरा दौर - भाग ३ - अक्समात
उदयपुर से अहमदाबाद का सफर २७० किलोमीटर लम्बा और थका देनेवाला था खास कर तब, जब कोई अकेला ही कर रहा हो। शामलाजी से थोड़ी दूर चलने के बाद नेशनल हाईवे ४८ पर शरीर को थोड़ा आराम देने के लिये और हल्का होकर हाथ मुंह धोने के लिये सड़क के किनारे अपनी मूनलाइट सिल्वर कलर की डस्टर को रोका।उसने कॉटन की सफेद रंग की शर्ट और उसपर मैच करती काले रंग की एलिस ब्लू कंपनी की ट्राउज़र पहनी थी। उसके ग्लॉसी डार्क ब्राउन रंग के जूते बता रहे थे कि वो किसी फंक्शन से लौट रहा था। कार का ...और पढ़े