कैलाश मानसरोवर - वे अद्भुत अविस्मरणीय 16 दिन

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वे अद्भुत, अविस्मरणीय 16 दिन लेखिका अनघा जोगलेकर अपनी बात यूँ लगा जैसे मैंने कोई बहुत ही मनोरम स्वप्न देखा हो। पिछले 20 वर्षों से मन में पल रही एक मनोकामना यकायक फलीभूत हो उठी। हाँ, कदाचित स्वप्न ही था वह। दिवास्वप्न.... आज से 4 माह पूर्व मुझे एक फोन आया, "हम कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए जा रहे हैं। क्या आप हमारे साथ जाना चाहेंगे?" मुझे तो यूँ लगा जैसे वह फोनकॉल न होकर साक्षात प्रभुवाणी हो। उस फोनकॉल ने मेरे मन में उथल-पुथल मचा दी। घर में यात्रा पर जाने के लिए पूछा तो सबने मना कर दिया

Full Novel

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कैलाश मानसरोवर - वे अद्भुत अविस्मरणीय 16 दिन - 1

वे अद्भुत, अविस्मरणीय 16 दिन लेखिका अनघा जोगलेकर अपनी बात यूँ लगा जैसे मैंने कोई बहुत ही मनोरम स्वप्न हो। पिछले 20 वर्षों से मन में पल रही एक मनोकामना यकायक फलीभूत हो उठी। हाँ, कदाचित स्वप्न ही था वह। दिवास्वप्न.... आज से 4 माह पूर्व मुझे एक फोन आया, "हम कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए जा रहे हैं। क्या आप हमारे साथ जाना चाहेंगे?" मुझे तो यूँ लगा जैसे वह फोनकॉल न होकर साक्षात प्रभुवाणी हो। उस फोनकॉल ने मेरे मन में उथल-पुथल मचा दी। घर में यात्रा पर जाने के लिए पूछा तो सबने मना कर दिया ...और पढ़े

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कैलाश मानसरोवर - वे अद्भुत अविस्मरणीय 16 दिन - 2

दूसरा पड़ाव ल्हासा ल्हासा का अर्थ होता है - देवताओं की भूमि । ल्हासा सचमुच ही देवताओं की भूमि-सी जगह है। यह तिब्बत का एक सुंदर शहर है। पहले तिब्बती स्वतंत्र क्षेत्र था लेकिन अब यह चीन के अधिकार क्षेत्र में आता है। आइए अब पहले तिब्बत के बारे में थोड़ा जान लेते हैं… फिर यात्रा पर आगे बढ़ते हैं - तिब्बत में मुख्यतः बौद्ध धर्म प्रचलित है लेकिन फिर भी तिब्बत के हर मंदिर में हिंदू धर्म के भी अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियाँ देखने को मिलती हैं, खासकर देवियों में काली, तारा देवी, भैरवी, सरस्वती की मूर्तियाँ बहुत ...और पढ़े

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कैलाश मानसरोवर - वे अद्भुत अविस्मरणीय 16 दिन - 3

तीसरा पड़ाव शिगात्से अब हमें तिब्बत के ही एक और शहर शिगात्से जाना था। ल्हासा से शिगात्से तक का हमें बस से तय करना था । हम सब सुबह जल्दी उठ कर, नहा धोकर, नाश्ता कर बस में जाकर बैठ गए । बस चल पड़ी । ल्हासा से निकलते ही ब्रह्मपुत्र नदी के दर्शन हुए। हालांकि पानी मटमैला था क्योंकि बरसात का मौसम था लेकिन इतना अधिक विस्तार ली हुई नदी मैंने पहली बार ही देखी थी । ब्रह्मपुत्र तिब्बत की प्रमुख नदियों में से एक है । इसके जल ने ही तिब्बत को सींचा है । शिगात्से की ...और पढ़े

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कैलाश मानसरोवर - वे अद्भुत अविस्मरणीय 16 दिन - 4

चौथा पड़ाव सागा अब शुरू हुआ कठिन सफर । समुद्र तल से ऊंचाई क्रमशः बढ़ती जा रही थी और कम होती जा रही थी इसलिए हमें हर रोज एक शहर में एक रात काटना जरूरी था ताकि हमारा शरीर उस क्लाइमेट से अक्लाइमेट हो जाए और हमें तकलीफ कम हो । हम में से किसी ने अपने हाथ में कपूर बांध रखे थे तो किसी ने गले में लटकाए हुए थे । जहाँ भी सांस लेने में तकलीफ होती वहाँ हम झट से कपूर सूंघ लेते । और हाँ, एल्टीट्यूड सिकनेस मतलब ऊंचाई पर होने वाली परेशानी से बचने ...और पढ़े

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कैलाश मानसरोवर - वे अद्भुत अविस्मरणीय 16 दिन - 5

अंतिम पड़ाव दारचिन दारचिन पहुँचने से पहले एक जगह पर हमारी बस बदली जानी थी और हमें चीन सरकार मुहैया करवाई गयी बस में बैठना था । हम सब जब उस जगह की ओर बढ़ रहे थे तो अचानक सुजाता जी, लक्ष्मी, प्रशांत सब चिल्ला पड़े ''कैलाश… कैलाश…'' हम, जो पहली दफा इस यात्रा पर आए थे, वे सब बस की खिड़की से इधर-उधर देखने लगे। हमारी दाई ओर एक लम्बी-सी पर्वत श्रृंखला थी । हमें लगा वही कैलाश पर्वत है । उसे देख कर थोड़ी-सी निराशा हुई क्योंकि वह पर्वत श्रृंखला तो अन्य किसी और पर्वत श्रृंखला जैसी ...और पढ़े

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कैलाश मानसरोवर - वे अद्भुत अविस्मरणीय 16 दिन - 6

परिक्रमा का पहला पड़ाव देरापुक देरापुक में जहाँ हमारी डॉरमेट्री थी... उसके ठीक सामने कैलाश का साउथ फेस था हम उस डॉरमेट्री में 2 दिन के लिए रुके थे । वहाँ तकरीबन 6 कमरे थे और हर कमरे में लगभग 4-5 पलंग डले हुए थे । उन पलंगों पर मोटी-मोटी गद्दियाँ और डबल रजाइयाँ रखी हुई थीं। इसके अलावा और कोई भी मूलभूत सुविधा वहाँ नहीं थी । मतलन न तो वहाँ बाथरूम थे और न ही टॉयलेट्स । वहाँ पहुँचते ही अचानक जाने क्या हुआ कि मेरा सर बहुत दर्द होने लगा। यूं लगा जैसे किसी ने 5 ...और पढ़े

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कैलाश मानसरोवर - वे अद्भुत अविस्मरणीय 16 दिन - 7

परिक्रमा का दूसरा व तीसरा पड़ाव डोलमा ला पास, जुतुलपुक हमारे समूह के अन्य सदस्य रात को डॉरमेट्री में रुक गए । सुबह शायद कैलाश का स्वर्णिम शिखर दिख जाए... इस आशा में सब जल्दी उठ गए लेकिन इस बार भी हमारी किस्मत में स्वर्णिम शिखर देखना नहीं था या कह लीजिये कि कैलाश जी ने कुछ अद्भुत दृश्यों को हमसे छुपा लिया था कि हम फिर से इस यात्रा पर आ सकें । सुबह अशोक और सृजन हर बार की तरह गर्म नाश्ते, चाय, कॉफी और बॉर्नविटा दूध लेकर डॉरमेट्री पहुँच गए । सबने नाश्ता किया और वे ...और पढ़े

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कैलाश मानसरोवर - वे अद्भुत अविस्मरणीय 16 दिन - 8 - अंतिम भाग

मानसरोवर मानसरोवर - देवताओं का सरोवर । बचपन से ही सुनते आई थी कि मानसरोवर देवताओं का सरोवर है यहाँ देवता स्नान करने आते हैं, शिव शंभू अपनी पत्नी पार्वती संग विहार करने आते हैं । यह भी सुना था कि इसे ही क्षीरसागर भी कहते हैं और क्षीर-नीर विवेक के हंस भी इसी मानसरोवर में पाए जाते हैं, मानसरोवर के हंस मोती चुगते हैं और इसके तल में स्वयं विष्णु अपने शेषनाग पर विराजमान हैं, इसके साथ ही इस जल में भोलेनाथ के गणों का भी वास है । कहते हैं कि मानसरोवर का असली नाम मानस सरोवर ...और पढ़े

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