कमरे में सुबह की हल्की-सी रोशनी आ रही थी। बड़े शहरों के फाइव स्टार अपार्टमेंट में खिड़कियाँ तो बड़ी-बड़ी होती है, लेकिन उन पर पर्दे भी उतने ही मोटे पड़े रहते हैं। रोशनी तो चाहिए, लेकिन धूप नहीं.... सब कुछ सुविधानुसार चाहिए, या स्वादानुसार। शुभ की आँखें खुली तो देखा हानिया बेड के किनारे पर बैठकर अपने शूज के लैस बाँध रही थी। उसने झुककर हानिया की खुली कटावदार कमर को चूम लिया, उसने प्यार से मुस्कुराकर उसे देखा तो, शुभ ने शरारतन काट लिया। हानिया की हँसी छन्न से टूटे काँच की तरह पूरे कमरे में बिखर गई। शुभ ने उठकर उसकी हँसी को अपने होंठों में समेट लिया, हानिया के स्टेप कट बालों से शुभ का चेहरा ढँक आया। कमरे में फिर से रात घिर आई।
Full Novel
राग का अंतर्राग - 1
अमिता नीरव 1 कमरे में सुबह की हल्की-सी रोशनी आ रही थी। बड़े शहरों के फाइव स्टार अपार्टमेंट में तो बड़ी-बड़ी होती है, लेकिन उन पर पर्दे भी उतने ही मोटे पड़े रहते हैं। रोशनी तो चाहिए, लेकिन धूप नहीं.... सब कुछ सुविधानुसार चाहिए, या स्वादानुसार। शुभ की आँखें खुली तो देखा हानिया बेड के किनारे पर बैठकर अपने शूज के लैस बाँध रही थी। उसने झुककर हानिया की खुली कटावदार कमर को चूम लिया, उसने प्यार से मुस्कुराकर उसे देखा तो, शुभ ने शरारतन काट लिया। हानिया की हँसी छन्न से टूटे काँच की तरह पूरे कमरे में ...और पढ़े
राग का अंतर्राग - 2
अमिता नीरव 2 भीड़ भरी सड़क से निकलकर जैसे ही वो यूनिवर्सिटी रोड पर पहुँचे। वृंदा ने रट लगाई, मुझे दो.... गाड़ी।' खीझे हुए शुभ ने ड्राइविंग सीट छोड़ी और चाभी उसे लगाकर पास वाली सीट पर जा बैठा। बहुत ही झुंझलाया हुआ था, लेकिन वृंदा इस सबसे बेखबर उत्साह से उसकी ओर देख रही थी...। जब शुभ ने उसे नहीं देखा तो वह रूआँसी हो गई 'बता तो दो....।' शुभ ने खीझकर बताया था 'ये क्लच है, ये गियर है, ये ब्रेक, ये एक्सीलरेटर या स्टीयरिंग और ये हॉर्न.... इग्निशन लगाओ... क्लच, दबाकर गियर चेंज करो... और रेस ...और पढ़े
राग का अंतर्राग - 3 - अंतिम भाग
अमिता नीरव 3 वृंदा एकदम खिन्न हो गई थी। वह नहीं समझ पा रही थी कि आखिर वह क्या करे? उसे यह दुख भी होने लगा था कि आखिर उसका अधूरापन शुभ के सामने भी जाहिर हो ही गया। लेकिन वह क्या करे.... कहाँ से करे खुद को पूरा....? क्या अभाव है, वह उसे जानें तो पहले.... वह खुद ही अपने सामने पहेली बनी हुई है। शुभ के सामने क्या सुलझाए? लेकिन आज उसे यह भी महसूस हुआ कि बात बहुत गंभीर है। जब ठीक होगा, तब होगा, तब तक क्या ऐसे ही अधूरेपन के साथ जिएंगे दोनों? शुभ ...और पढ़े