हंसता क्यों है पागल

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कुछ दिन पहले शाम को पार्क में अपने साथी सीनियर सिटीजंस के साथ टहल कर गप्पें लड़ाते समय पड़ौस में रहने वाले एक साथी ने बताया कि आज तो उनका सारा दिन बहुत आराम से बीत गया। उनका गीज़र खराब हो गया था। जब उसे सुधारने वाला आया तो उनकी बहू बोली - पापाजी, मैं चौंची को स्कूल से लेने जा रही हूं, आज उसके स्कूल में कोई प्रोग्राम है तो लौटने में देर लगेगी, ये गीज़र वाला आया है, आप इससे काम करवा लीजिएगा। बस, थोड़ी देर के लिए वो घर के मालिक बन गए और उनकी दोपहरी ख़ूब

Full Novel

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हंसता क्यों है पागल - 1

कुछ दिन पहले शाम को पार्क में अपने साथी सीनियर सिटीजंस के साथ टहल कर गप्पें लड़ाते समय पड़ौस रहने वाले एक साथी ने बताया कि आज तो उनका सारा दिन बहुत आराम से बीत गया। उनका गीज़र खराब हो गया था। जब उसे सुधारने वाला आया तो उनकी बहू बोली - पापाजी, मैं चौंची को स्कूल से लेने जा रही हूं, आज उसके स्कूल में कोई प्रोग्राम है तो लौटने में देर लगेगी, ये गीज़र वाला आया है, आप इससे काम करवा लीजिएगा। बस, थोड़ी देर के लिए वो घर के मालिक बन गए और उनकी दोपहरी ख़ूब ...और पढ़े

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हंसता क्यों है पागल - 2

गीज़र का मैकेनिक जिस दुकान से आया था, वहां से अगले दिन सुबह फ़ोन आया कि जिस दुकान से गीज़र का पुर्जा आना था वो आज बंद है इसलिए वो काम आज नहीं हो सकेगा। मैंने उसे सूचना दे देने के लिए धन्यवाद देने के साथ साथ ये भी पूछ लिया कि आज दुकान क्यों बंद है? उधर से फ़ोन करने वाले को शायद इतनी तहकीकात की आशंका नहीं थी इसलिए उसने कुछ खीज कर कहा - क्या पता जी, शायद उसके घर में कोई गमी (मौत) हो गई है। - ओह! मैंने कहा और फ़ोन रख दिया। आज ...और पढ़े

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हंसता क्यों है पागल - 3

इस बार बात कुछ खुल कर हुई। मुझे भी पता चला कि लड़का बार- बार बिना किसी काम के क्यों कर रहा है। असल में कुछ ही दिनों बाद उसकी फ़िर एक परीक्षा यहां थी। वो परीक्षा देने आ रहा था और मेरे पास ठहरना चाहता था। उसका कहना था कि परीक्षा के दिनों में कहीं ठहरने की जगह मिलती नहीं है, और मिले भी तो बहुत महंगी तथा असुविधाजनक। ठीक भी तो है, बेरोजगारी के आलम में एक तो बच्चे बार - बार इतना किराया भाड़ा खर्च करके परीक्षा देने जाएं, फ़िर एक दिन कहीं ठहरने में सैंकड़ों ...और पढ़े

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हंसता क्यों है पागल - 4

मैं सुबह उठते ही चाय पीने के साथ साथ अख़बार देख रहा था तब मेरा ध्यान रह रह कर पर भी जा रहा था। मैंने तय कर लिया था कि दस बजे के बाद मैं गीज़र मैकेनिक को फ़ोन करूंगा और यदि आज भी उसने कोई बहाना किया तो मैं ख़ुद उसकी दुकान पर चला जाऊंगा और उससे खुल कर ये बात करूंगा कि वो काम न जानने की वजह से किसी दूसरे मैकेनिक की तलाश में है या सचमुच उस पुर्जे की दुकान दो दिन से खुली नहीं है। और मैं उससे ये भी कहूंगा कि यदि वो ...और पढ़े

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हंसता क्यों है पागल - 5

मैं बाहर घूम - घाम कर घर लौटा तो कुछ बेचैनी सी थी। खाना खाकर बैठने के बाद भी लगता रहा जैसे बदन में कोई धुआं सा फ़ैल रहा है। मैं कुछ देर शीशे के सामने भी खड़ा रहा। मैं कपड़े बदल लेने के बाद मन ही मन सोचने लगा कि क्या मुझे किसी डॉक्टर से मिलना चाहिए? लेकिन डॉक्टर को बताऊंगा क्या? नहीं बताया तो वो दुनिया भर के सारे टैस्ट लिख देगा। फ़िर करवाते फिरो। हर टैस्ट में सैकड़ों रुपए और उसके बाद एहतियात के लिए बेशुमार दवाएं। मुझे एकाएक ज़ोर से हंसी आ गई। ओह! ये ...और पढ़े

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हंसता क्यों है पागल - 6

वैसे तो समीर का फ़ोन पिछले कई दिनों से ही आ रहा था, पर आज नई बात ये थी उसने पहली बार मुझसे वीडियो कॉल पर बात करने का अनुरोध किया। समीर से आप समझ गए होंगे कि मेरा वही छात्र जो कुछ दिन पहले मेरे पास रुक कर गया था और अब जल्दी ही फ़िर आने वाला था। एक बार मैंने सोचा कि उससे कल दिन में बात करने के लिए कहूं, क्योंकि अब काफ़ी रात हो चुकी थी। लेकिन तभी मुझे ये एहसास भी हो गया कि समय क्या हुआ है, ये तो उसे भी मालूम है... ...और पढ़े

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हंसता क्यों है पागल - 7

दोपहर को मैं अचानक बैठे - बैठे समीर के उठाए हुए उस मुद्दे के बाबत सोचने लगा कि आख़िर एकाएक लड़कियों की गिरफ़्तारी और रिहाई में इस तरह की दिलचस्पी क्यों पैदा हो गई? वह इस सारे मामले से किस तरह जुड़ा है। ज़ाहिर है कि मीडिया की एक सामान्य न्यूज़ और एक छात्र की जनरल नॉलेज का मामला तो ये दिख नहीं रहा था। आधी रात को मुझे वीडियो कॉल लगाकर इस तरह की शंका उठाना कोई साधारण सी बात तो हो नहीं सकती थी। क्या था? क्यों था? जानने की इच्छा जागी। लेकिन अब मैं फ़ोन लगा ...और पढ़े

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हंसता क्यों है पागल - 8

लगभग एक सप्ताह बाद समीर का फ़ोन आया कि वह अगले दिन आ रहा है। उसने बताया कि वह तक पहुंचेगा और अगली सुबह उसकी एक परीक्षा है। उसके आने पर रात को खाने खाने के बाद जब हम बैठे तो वह अचानक स्वर को कुछ धीमा करते हुए बोला - सर, मैं आपसे कुछ बात करना चाहता हूं... - बोलो, इसमें पूछना क्या... मैंने सोचा कि अगली सुबह उसकी परीक्षा है, वो उसी परीक्षा के सन्दर्भ में कुछ पूछेगा। प्रतियोगिता परीक्षाओं में तो अंतिम समय तक एक- एक सवाल के लिए विद्यार्थियों को जद्दोजहद करनी ही पड़ेगी, एक ...और पढ़े

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हंसता क्यों है पागल - 9

उस दिन हम दोनों रात को साढ़े तीन बजे सोए। असल में जब वो आता था तो मैं यह उसे अलग कमरे में ठहराता था कि अगले दिन उसका इम्तहान है और वो न जाने रात को कितनी देर तक पढ़ना चाहे, फ़िर उसे कोई डिस्टर्बेंस भी न हो और वह परीक्षा की मानसिकता में ही रहे। लेकिन इस बार ख़ुद उसने कहा कि वो परीक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। उसी ने ये इच्छा जताई कि वो मेरे पास ही सोएगा, तो मुझे भला क्या ऐतराज होता। वो मुझसे बहुत सारी बातें करना चाहता था। अगले दिन उसे ...और पढ़े

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हंसता क्यों है पागल - 10 (अंतिम भाग)

सुबह जागते ही मोबाइल हाथ में उठाया तो अकस्मात ज़ोर से हंसी आ गई। अब अपने ही मोबाइल को कर हंसना.. भला ये कोई बात हुई? लेकिन अपना मोबाइल भी अपने नाम की ही तरह है। इसे हम ख़ुद नहीं, बल्कि दूसरे लोग काम में लेते हैं। किसी को अपना ख़ुद का नाम लेने की ज़रूरत शायद ही कभी मुश्किल से पड़ती होगी। दूसरे लोग ही दिन भर लेते हैं हमारा नाम। ठीक इसी तरह मोबाइल भी उसी सब से भरा रहता है जो दूसरे लोग हमें भेजते हैं। जो कुछ हमने भेजा, वो तो इससे निकल कर चला ...और पढ़े

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