निम्मो.. !निम्मो... निम्मो.... अरे कहां मर गई कमब्खत मारी.. निम्मो- जी आई अम्मी... और निम्मो अपने सिर को दुपट्टे से ढकते हुए दौड़ती सी बैठक बाले कमरे की तरफ आती है. उनके पास मौलवी को देख उसके कदम ठिठक से जाते है अम्मी के पास बैठा 50 साल का खाने वाली निगाहों से मौलवी निम्मो को देख रहा है. अम्मी - अब इतनी दूर क्यों ख़डी हो गई.. इधर आ निम्मो- हम यहीं ठीक है अम्मी.. !अम्मी- क्या तुझें पता नहीं है के आज महीने की आख़िरी जुमे रात है आज उतरा होना है निम्मो चुप चाप अपनी नज़रे ज़मीन में गढ़ाए ख़डी रहती है.

Full Novel

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निम्मो (भाग-1 )

निम्मो.. !निम्मो... निम्मो.... अरे कहां मर गई कमब्खत मारी.. निम्मो- जी आई अम्मी... और निम्मो अपने सिर को दुपट्टे ढकते हुए दौड़ती सी बैठक बाले कमरे की तरफ आती है. उनके पास मौलवी को देख उसके कदम ठिठक से जाते है अम्मी के पास बैठा 50 साल का खाने वाली निगाहों से मौलवी निम्मो को देख रहा है. अम्मी - अब इतनी दूर क्यों ख़डी हो गई.. इधर आ निम्मो- हम यहीं ठीक है अम्मी.. !अम्मी- क्या तुझें पता नहीं है के आज महीने की आख़िरी जुमे रात है आज उतरा होना है निम्मो चुप चाप अपनी नज़रे ज़मीन में गढ़ाए ख़डी रहती है. ...और पढ़े

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निम्मो (भाग-2)

निम्मो (भाग-2)निम्मो- देखो शाहिद आप मेरे शोहर हो के भी मेरी परेशानीयों को नहीं समझ रहें हैं.. आप की कोशिश क्यों नहीं करते.. मैं.. मैं... कैसे समझाऊ आपको के वो मेरे साथ क्या करता है..वो मौलवी नहीं है दरिंदा है.. शाहिद- देख निम्मो मैं तेरे हांथ जोड़ता हूं के तूं मेरा भेजा बिलकुल भी खराब मत कर तुझसे जो कहा जा रहा है तूं उतना कर इसी में हम सब की भलाई है.. निम्मो- अच्छा मैं आपसे बस इतना पूछती हूं क्या जिन्नाद मौलवी को आते है.? शाहिद- हां उन्ही पर आते है..क्या तुझें पता नहीं है.. निम्मो- क्या वो वो सब भी ...और पढ़े

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निम्मो (भाग-3)

भाग-3निम्मो को होश आ चुका था..उसके पास अम्मी, शाहिद, मौलवी और हकीम बैठे थे निम्मो उठने को हुई के उसे मौलवी ने उठने से रोका मौलवी- आराम से लेटी रहो निम्मो ..तुम्हे अब और कुछ करने की ज़रूरत नहीं है...तुम मुझें बताओं क्या कहना चाहती हो. निम्मो - मुझें आपसे कोई बात नहीं करनी. मौलवी- ठीक है किससे करना चाहती हो शाहिद से या अम्मी से.. निम्मो रोने लगती है.. उसके आंसू झरने लगते है.. मौलवी खड़े होते हुए बोलता है मौलवी- आपा ये आप से बात करना चाहती है हम लोग बाहर जाते है. अम्मी-अब क्या बात करेंगी.. जो बात थी तो आप लोगों ...और पढ़े

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निम्मो (भाग-4 अंतिम)

कंटीन्यू पार्ट -4अपनी नाकामियों का कसुरबार अपनों को ही बना देना कहां तक सही है.. आज कल नहीं ये ज़माने से चला आ रहा है जिस तरह शाहिद ने और उसकी अम्मी ने अपनी खुद की नाकामी का कसूरवार निम्मो को बना दिया था हालांकि इस समाज में आज भी बहुत से लोग ऐसे है जो ऐसे इल्म के चक्कर अपनों को या फिर किसी और की बली दें देते हैं..हमारे इस समाज में ये ज़रूरी भी नहीं कि निम्मो जैसी लड़कियों को ऐसा भोगना पड़ता है.. वो कबिता, परमिंदर या रोज़ी भी होती है.. यदि शिक्षा का आभाव ...और पढ़े

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