काश ! में समज पाता प्रणव और प्रेरणा, कॉलेज की हर दिवार सुना रही थी। इनकी प्रेम कहानी हां ऐसा लगता था कि "मेड फॉर इच अधर"। प्रणव समजदार और संस्कारी लड़का था । उसके पापा दिन को रात कहे रात , रात को दिन कहे तो दिन हो जाता था। बहोत खूबसूरत लड़कियों के प्रपोजल को ठुकरानेवाला प्रेरणा को देख्तेही दिल दे बैठा , अपनी हर सांस पर प्रेरणा का नाम लिख दिया । प्रेरणा कि ना भी कब हां में बदल गयी पता ही नहीं चला। प्रेरणा अमीर घराने कि लाड़ली पर बिगड़ी हुई बेटी नहीं थी, संस्कार

Full Novel

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काश ! में समज पाता

काश ! में समज पाता प्रणव और प्रेरणा, कॉलेज की हर दिवार सुना रही थी। इनकी प्रेम कहानी हां लगता था कि "मेड फॉर इच अधर"। प्रणव समजदार और संस्कारी लड़का था । उसके पापा दिन को रात कहे रात , रात को दिन कहे तो दिन हो जाता था। बहोत खूबसूरत लड़कियों के प्रपोजल को ठुकरानेवाला प्रेरणा को देख्तेही दिल दे बैठा , अपनी हर सांस पर प्रेरणा का नाम लिख दिया । प्रेरणा कि ना भी कब हां में बदल गयी पता ही नहीं चला। प्रेरणा अमीर घराने कि लाड़ली पर बिगड़ी हुई बेटी नहीं थी, संस्कार ...और पढ़े

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काश ! में समज पाता - 2

बस ये बात जैसे प्रणव कि माताजी को कांटे कि तरह चुभ सी गई । दिन-रात एक ही चिंता सता रही थी , अगर बेटी आई तो इस घर का वंश आगे कैसे बढ़ेगा ? उन्होंने प्रणव के पिताजी , प्रणव और प्रेरणा से यह बात की , सबने कहा ," बेटा-बेटी एक सम्मान है ।" प्रणव के माताजी की रातो की नींद उड़ गई थी । चिंता की वजह से उनकी तबियत ख़राब रहने लगी , सबने बहोत समझाया , किन्तु वहेम की कोई दवाई नहीं होती । एक दिन अचानक से दिल में भारी दर्द उठा , ...और पढ़े

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काश ! में समज पाता - 3

कुछ महीने बाद प्रेरणा फिर से एक बार खुश खबरी सुनाती है हीचकिचाहट के साथ और फिर से कराती है इस बार ईश्वर की कृपा से वह नन्ही सी जान बेबी बॉय था । घर में अब सब बहुत खुश है किन्तु प्रेरणा अब भी खुद को गुनेगार मान रही है , प्रणव उसे समजा रहा है की ,"अब सब कुछ ठीक हो जाने पर पुरानी बाते भूल जाओ ।" बातो में यू ही वक़्त बीतता गया । आखिर कार प्रेरणा ने एक बेटे को जनम दिया और पूरा ...और पढ़े

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