शापित आशीष दलाल [बचपन में यौनउत्पीड़न का शिकार हुए युवक की अपराधी से बदला लेने की भावना और अंतर्द्वंद पर आधारित अपराध कथा] (१) ‘अंकल ! आपकी दाढ़ी चुभती है.’ दस वर्षीय नमन ने अपने नन्हें हाथों से रोहित के चेहरे को अपने गाल के पास से दूर करने की कोशिश की. रोहित कमरे के कोने में रखी कुर्सी पर बैठा हुआ था और नमन उसके दो पैरों के बीच खड़ा था. ‘ओके. ब्रेव बॉय ! ठीक है. अंकल तुम्हारें गालों नहीं छुएंगे पर तुम्हें अंकल से प्यार है तो जल्दी से उनके गालों पर पप्पी कर दो.’ कहते हुए
Full Novel
शापित - 1
शापित आशीष दलाल [बचपन में यौनउत्पीड़न का शिकार हुए युवक की अपराधी से बदला लेने की भावना और अंतर्द्वंद आधारित अपराध कथा] (१) ‘अंकल ! आपकी दाढ़ी चुभती है.’ दस वर्षीय नमन ने अपने नन्हें हाथों से रोहित के चेहरे को अपने गाल के पास से दूर करने की कोशिश की. रोहित कमरे के कोने में रखी कुर्सी पर बैठा हुआ था और नमन उसके दो पैरों के बीच खड़ा था. ‘ओके. ब्रेव बॉय ! ठीक है. अंकल तुम्हारें गालों नहीं छुएंगे पर तुम्हें अंकल से प्यार है तो जल्दी से उनके गालों पर पप्पी कर दो.’ कहते हुए ...और पढ़े
शापित - 2
शापित आशीष दलाल (२) पूरे वाकये को आज अचानक ही याद करते हुए अपने हाथ में थाम रखे चाय कप पर नमन की पकड़ मजबूत हो गई. चंद ही पलों में हथेली पर उभर आई पसीनें की बूंदों की वजह से कप नमन के हाथ से फिसलकर दूर जा गिरा. ‘आज फिर से कप तोड़ दिया?’ आखिर हो क्या गया है तुझे?’ कप के टूटने की आवाज सुनकर सुनंदा नमन के कमरे में दौड़ी चली आई. नमन ने जैसे सुनंदा की उपस्थिति महसूस ही न की. उसकी सूनी आंखें कमरे की खिड़की से बाहर दूर कुछ खोज रही थी. ...और पढ़े
शापित - 3
शापित आशीष दलाल (३) उस घटना के बाद थोड़ी समझ आने पर रोहित से वह जितना दूर रहने की करता जिन्दगी के मोड़ उसे बार बार उसके नजदीक आने पर मजबूर कर देते. बारहवीं पास करने के बाद उसके पापा की हार्ट अटैक से असमय मौत हो जाने के बाद रोहित ने बड़े भाई की तरह नमन को हिम्मत दिलाकर जिन्दगी के संघर्षों से लड़ने के काबिल बनाया था. नमन रोहित को अपने बचपन में भी न समझ पाया और न ही युवावस्था की ओर बढ़ते हुए समझ पा रहा था. रोहित नमन के साथ इस तरह से व्यवहार ...और पढ़े
शापित - 4
शापित आशीष दलाल (४) तीन महीने पहले रोहित से हुई बात को एक बार फिर से याद करते हुए शरीर में भयमिश्रित उत्तेजना छा गई. उस बात के बाद रोहित ने खुद ही नमन से दूरी बनाना शुरू कर दी थी और अपने बेटे को नमन के घर में अकेले होने पर यथासंभव उसके यहां भेजने से रोकने लगा था. नमन ने रोहित से अपनी हुई बात के बाद इस परिवर्तन को बड़ी ही अच्छी तरीके से महसूस किया था. रोहित से अपनी हुई इस बात के एक महीने बाद ही रोहित का एक्सीडेंट और फिर मौत होने पर ...और पढ़े
शापित - 5 - अंतिम भाग
शापित आशीष दलाल (५) ‘भैया, दुख रहा है. धीरे से पकड़ो न हाथ.’ चिंटू ने नमन के हाथ से हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए दर्द से तिलमिलाते हुए कहा. ‘अच्छा धीरे से बस !’ चिंटू के चीखने पर नमन का आवेग कुछ कम हुआ उसने उसके हाथ पर अपनी पकड़ कुछ ढ़ीली कर दी. ‘नहीं, मुझे नहीं खेलना है यह खेल. हम दूसरा खेल खेलेंगे.’ तभी चिंटू उठकर बैठने की कोशिश करने लगा. ‘ठीक है. मेरे शेर. अब दूसरा खेल खेलते है.’ कहते हुए नमन ने चिंटू को अपने सीने से लगा लिया. ‘छोड़ो मुझे भैया. ये अच्छा ...और पढ़े