इस कहानी की सुरुवात इक गाव से होती है। जो सहर से थोड़ा दूर है,जहा दो दिलो मे एक प्रेम उत्पन्न हो रहा था। प्रेमी और प्रेमिका एक दुसरे के दिल मे अपना घर बना रहे थे जिसकी उन दोनो को भी भनक ना थी की उनके साथ क्या होने लगा है। हम इस कहनी के पहले पन्नो के नामों का दर्सन करेंगे।प्रेमी-निर्मल प्रेमिका-नीरू प्रेमी के माता पिता - रामा और कुंवर प्रेमिका के माता पिता - रूमा और विजयआगे के पात्रो का हम दर्सन आगे करेंगे । निर्मल लम्बा कद , घुंघराले बाल , बड़ी दो आँखें गुलाब की पंखुडि की तरह

Full Novel

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प्रेम दो दिलो का - 1

इस कहानी की सुरुवात इक गाव से होती है। जो सहर से थोड़ा दूर है,जहा दो दिलो मे प्रेम उत्पन्न हो रहा था। प्रेमी और प्रेमिका एक दुसरे के दिल मे अपना घर बना रहे थे जिसकी उन दोनो को भी भनक ना थी की उनके साथ क्या होने लगा है। हम इस कहनी के पहले पन्नो के नामों का दर्सन करेंगे।प्रेमी-निर्मल प्रेमिका-नीरू प्रेमी के माता पिता - रामा और कुंवर प्रेमिका के माता पिता - रूमा और विजयआगे के पात्रो का हम दर्सन आगे करेंगे । निर्मल लम्बा कद , घुंघराले बाल , बड़ी दो आँखें गुलाब की पंखुडि की तरह ...और पढ़े

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प्रेम दो दिलो का - 2

जो भी अब कर सकता था अब निर्मल ही था निर्मल ने रुचि की मदत से नीरू के पूरे पे पट्टि रखता है। जब उसके पिता जी सहर से वापस आते है तो उनके साथ सहर जाकर नीरू को डॉक्टर से दिखाता है । बुखार की वजह से नीरू कमजोर हो गयी थी । वह जब घर वापस आए तो अस्पताल मे रात मे रुकना निर्मल के लिये आसान था । लेकिन निर्मल अब नीरू को छोड़ना नही चाहता है। वह चाहता है की वह नीरू के पास बैठ कर पुरा समय उसको देखता रहे , लेकिन यह सम्भव ...और पढ़े

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प्रेम दो दिलो का - 3

वह देखता है कि नीरू अपने कमरे में अपने बिस्तर पर लेती है और उसके बाल उसके गालों होते हुए उसके पूरे बदन पे फैले है । ऐसा लग रहा था जैसे कोई परी रूठ गई हो और गुस्से से उसके चेहरे लाली देखने वाली थी निर्मल को समझ ना आ रहा था कि वह नीरू से क्या कहे वह थोड़ी तेज आवाज में कहता है कि क्या हुआ क्यों इतने गुस्से में लेती है बाहर से आवाज़ आती है स्कूल जाने से मना किया गया है इस वजह से रूठी हुई है निर्मल अच्छा तो ये बात है ...और पढ़े

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प्रेम दो दिलो का - 4

निर्मल को उस दिन नीरू को देखना ऐसा लगा जैसे निर्मल ने उसे अपनी आँखो से छु लीया हो। दिन नीरू यह सोचती रही की वो क्या था जो निर्मल की आँखो मे देखा वो क्या था । यह बात वह निर्मल से पूछेगी की वो इस तरह से क्यो देखता है । ये बात अब नीरू को भी लगने लगा की क्या निर्मल उससे प्यार करता है या सिर्फ उसे देख लेता है ।अब दोनो की हालत एक जैसी है सोचने वाली बात ये है कि तब नीरू कहती क्यो नही है निर्मल से की वह भी वही ...और पढ़े

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प्रेम दो दिलो का - 5

रमा के परो को जैसे उड़ान मिल गयी हो और वह उडने लगी हो जैसे वह उसकी बात कर है । निर्मल दुबारा पूछता है कि नीरू मेरे बारे मे कोई बात ना करती है । रमा ने कहा की करती तो है पर ये बात तुम क्यो पुछ रहे हो । निर्मल हिचकिचते हुए कहा बस ऐसे ही पुछ नही सकता ।रमा बोली गुस्से से कह रही थी कि निर्मल ने उसकी बहुत देख भाल की और तुम उसे पढ़ाने भी जाते हो । निर्मल हस्ते हुए बोला हाँ जाता हूँ । रमा उसकी तरफ क्या पढाते हो ...और पढ़े

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प्रेम दो दिलो का - 6

निर्मल खुश तो बहुत है लेकिन वह अपनी ख़ुशी जाहिर नहीं कर सकता, वह चुप चाप जाकर दूसरे कमरे रमन और रूबी को पड़ने लगता है । नीरू को जाने जैसे किसी ने पानी से भिगो दिया हो वो समझ नहीं पा रही है कि उसने किया क्या है? वह पास में रखी कुर्सी पर बैठ गई क्यों निर्मल चला गया वह क्या सोच रहा होगा कि इस तरह का बरताव कैसे कर सकती हूं! बहुत सोचने के बाद उस कमरे मे जाती है जहा निर्मल उसके भाई बहन को पड़ा रहा होता है नीरू को देख निर्मल थोड़ा ...और पढ़े

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प्रेम दो दिलो का - 7

निर्मल नीरू को स्कूल छोड़ तो आता है लेकिन उसका मन नीरू के साथ उसके स्कूल मे ही रह है वह ऐसे बेसुद सा घर पहुचता है जैसे उसमे कोई उर्जा ही ना बची हो ।निर्मल को भी ये लगने लगा था की नीरू के बिना वह जी ना पायेगा । अगर नीरू ने इन्कार कर दिया तो वो टुट जायेगा । उस रोज निर्मल ने खाना भी नही खाया बस उसे इस बात का इन्तजार था की जल्दी से घड़ी मे दोपहर के 2 बजे और वो नीरू को लेने उसके स्कूल जाये। ये सोचते ही उसको ये ...और पढ़े

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प्रेम दो दिलो का - 8

वो क्या है?निर्मल - क्या कहते है?नीरू - किसी को प्रेम पत्र लिखते हो? तुम मुझसे फिर झूठ ये नाटक रच रहे होनिर्मल हस्ते हुए तुम्हारे कान किसने भर दिये । वे पत्र मेरे नही राजु के है वो जो मेरे पड़ोस में रहता है । वो मेरा अच्छा दोस्त है पगली मैं किसी और से प्रेम नही करता मुझे सिर्फ तुम अच्छी लगती हो।नीरू अच्छी बात है । निर्मल कहता है (गाड़ी रोक कर ) मुझें जवाब दो मुझसे आगे चला नही जायेगा ऐसे जब तक तुम जवाब नही दे देती ।नीरू नीचे सिर झुकाये मै क्या जवाब ...और पढ़े

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प्रेम दो दिलो का - 9

निर्मल का इन्तजार कर लो नीरू रमा से कहती है।रमा नीरू से कहती है नीरू मेरे लिये निर्मल बात करके देख ना एकबार वो तुम्हे पढाता है तुम उससे बात कर तो सकती हो ।नीरू कहती है हा कर सकती हूँ ।निर्मल का इन्तजार किया जाता है जैसे वह दूर से दिखने लगता है ।आज नीरू बात कर ले मेरी बहन ,निर्मल जब बाग में पहुचता है रमा की तरफ देख कर कहता है क्या बात हो रही थी दोनो सहेलियो की, रमा कहती है कुछ तो नही।नीरू निर्मल की तरफ देखते हुए कहती है आपकी ही बाते हो ...और पढ़े

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प्रेम दो दिलो का - 10

सालो बीत गए थे उन्हें प्यार करते हुए लेकिन आज उन्हें ये लग रहा था ये बात उन्होंने क्यों नहीं सोची उसे क्यों समझ नहीं आया कि वो इक दूसरे के नहीं हो सकते नीरू मेरी जान तुम अभी चलो हम दोनो कहीं बाहर चले जाएंगे इस दुनिया से दूर कहीं दूसरी दुनिया बसाएंगे नीरू उसके गले लग गई कहने लगी निर्मल मुझे माफ़ कर दो मै तेरी ये बात नहीं कैसे करू मैं नहीं चल सकती मजबूर हूं मै , निर्मल गुस्सा होकर चला जाता है दिनों के दिन रात रो रो कट रहे थे । नीरू का ...और पढ़े

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प्रेम दो दिलो का - 11

नीरू ये समझती थी कि हमारा निर्मल से दूर रहना ही उचित है लेकिन राजा अपनी हरकतो से बाज आ रहा था ।उसका रोज नीरू को गाली देना तो ठीक था लेकिन अब वो हाथ उठाने लग गया था ।उसपे ना जाने कौन सा भुत सवार हो गया था।एक बार जब विजय नीरू को लेने उसके घर गया तब पूरी बात जानने के बाद उसने राजा को समझाया ।विजय ने राजा से कहा वो इस तरह की हरकते बन्द कर दे और अपने नौकरी के बारे मे सोचे जो निर्मल ने अपने दफ्तर में लगाने के लिये कहा है ...और पढ़े

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प्रेम दो दिलो का - 12 - अतिम भाग

यह बात राजा को बरदास ही नही हुई और वह फिर से वही करने लगा जो पहले करता । उसने एक रोज छोटी बच्ची और नीरू को जान से मारने की योजना बना ली। जब नीरू को यह बात पता चली तो वह दोनो बच्चियो को लेकर घर से भाग गयी ,नीरू ने गांव से बाहर निकल कर निर्मल के दफ्तर में फोन किया।वह निर्मल के साथ अपने घर आ गयी ।लेकिन विजय को ये बात बिल्कुल अच्छी नही लगी ।अब तक विजय अपनी सारी जायदाद सराब में खत्म कर दिया था ।घर की हालत भी भिखरियो वाले हो ...और पढ़े

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