आइए ठाकुर साहब!! पधारिए, कहिए क्या लेना चाहते हैं? दुकान के मालिक सेठ मगनलाल ने ठाकुर राघव प्रताप सिंह से पूछा!! बस,सेठ जी कुछ कम्बल खरीदने है, गरीबों में बांटने के लिए,सर्दी शुरू होने वाली है ना!! ठाकुर साहब बोले।। अच्छा तो सस्ते वाले दिखाऊं या महंगे वाले,सेठ मगनलाल ने पूछा।। सस्ते वाले क्यो? महंगे वाले दिखाओ जिससे किसी गरीब की ठंड बच सके, बेचारे को कम्बल ओढ़ने के बाद ठंड लगती रही तो ऐसे कम्बल का क्या फायदा।। ठाकुर साहब बोले।। जी, ठाकुर साहब आइए,ऐसी भी क्या बात है?जो मर्जी हो देखिए,आप तो हमारे

Full Novel

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बन्धन--भाग(१)

आइए ठाकुर साहब!! पधारिए, कहिए क्या लेना चाहते हैं? दुकान के मालिक सेठ ने ठाकुर राघव प्रताप सिंह से पूछा!! बस,सेठ जी कुछ कम्बल खरीदने है, गरीबों में बांटने के लिए,सर्दी शुरू होने वाली है ना!! ठाकुर साहब बोले।। अच्छा तो सस्ते वाले दिखाऊं या महंगे वाले,सेठ मगनलाल ने पूछा।। सस्ते वाले क्यो? महंगे वाले दिखाओ जिससे किसी गरीब की ठंड बच सके, बेचारे को कम्बल ओढ़ने के बाद ठंड लगती रही तो ऐसे कम्बल का क्या फायदा।। ठाकुर साहब बोले।। जी, ठाकुर साहब आइए,ऐसी भी क्या बात है?जो मर्जी हो देखिए,आप तो हमारे ...और पढ़े

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बन्धन--भाग(२)

दूसरे दिन अमृत राय जी अपनी बेटी मीरा के साथ चले गए___ फिर एक दिन गिरिधर के यहां आटा हो गया, संकोचवश उसने ठाकुर साहब से कुछ नहीं कहा, सोचा कि शाम को खेतों से लौटते समय खरीद लाएगा ,उस दिन वो भोजन नहीं बना पाया और भूखे पेट ही कड़ी धूप में काम करता रहा,शाम होने को आई एकाएक उसका सर घूमने लगा और वो गिर पड़ा, वहां मौजूद सब लोगों ने उसे उठाकर पानी पिलाया, ये खबर ठाकुर साहब तक भी पहुंच गई, ठाकुर साहब दौड़े-दौड़े आए।‌‌ ठाकुर साहब बोले,चलो जल्दी से डॉक्टर के पास ले चलो, ...और पढ़े

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बन्धन--भाग(३)

रातभर गिरिधर उधेड़बुन में लगा रहा और बहुत सोचने-समझने के बाद फैसला ले लिया।। सुबह सो कर उठ कर हुआ और पहुंच गया हवेली नाश्ता करने!! ठाकुर साहब ने जैसे ही गिरिधर को देखा, उनकी खुशी का तो जैसे ठिकाना ही नहीं रहा, दौड़ कर गिरिधर को हृदय से लगा लिया और मुंशी जी से बोले___ मुंशी जी सारे गांव में मिठाई बंटवा दी जाए,शाम को ही मंगनी होगी, जल्दी से पंडित जी बुलाकर ब्याह की तिथि पक्की करवाइए!! हां, मालिक सब हो जाएगा,आप परेशान ना हों, मुंशी जी बोले!! चलो कालिंदी बिटिया नाश्ता लगाओ, पहले नाश्ता कर लें, ...और पढ़े

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बन्धन--भाग (४)

कालिंदी के माथे से बहुत खून बह चुका था, शहर से बड़े डाक्टर के आने तक, कालिंदी इंतजार ना सकी और हंसते-खेलते परिवार को छोड़कर चली गई___ ठाकुर साहब तड़प कर रह गये,उधर गिरिधर भी टूट गया, नन्ही सी बच्ची का मुंह देखकर अपने आंसू रोक लेता और अंदर ही अंदर घुटकर रह जाता, गांव के जिस भी महिला-पुरूष को बात पता चली दौड़ा चला आया कालिंदी का मुंह आखिरी बार देखने, ठाकुर साहब को जो भी ढांढस बंधाता,वो खुद ही रोने लगता, कहता कालिंदी जैसी बेटी भगवान सबको दे,दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार,घर के काम-काज में ...और पढ़े

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बन्धन--भाग(अंतिम भाग)

अमृत राय जी बोले, ऐसा क्या जरूरी काम है... ठाकुर साहब बोले,तू वादा कर कि मेरी बात बुरा नहीं मानेगा!! अमृत राय जी बोले, ठीक है बोल तो सही!! मैं ये कहना चाहता था कि अगर तेरी मर्ज़ी हो तो मीरा बिटिया का ब्याह गिरिधर से करवा दें।। अमृत राय जी बोले,ये बात तो ठीक है लेकिन तू मीरा से पूछ ले तो ज्यादा अच्छा होगा क्योंकि जब मैं और मीरा गिरिधर से पहली बार मिले थे तो मीरा की नजरों में मुझे गिरिधर के लिए प्रेम के भाव नजर आए थे फिर अचानक तूने गिरिधर ...और पढ़े

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बंधन--भाग(२)

दूसरे दिन अमृत राय जी अपनी बेटी मीरा के साथ चले गए___ फिर एक दिन गिरिधर के यहां आटा हो गया, संकोचवश उसने ठाकुर साहब से कुछ नहीं कहा, सोचा कि शाम को खेतों से लौटते समय खरीद लाएगा ,उस दिन वो भोजन नहीं बना पाया और भूखे पेट ही कड़ी धूप में काम करता रहा,शाम होने को आई एकाएक उसका सर घूमने लगा और वो गिर पड़ा, वहां मौजूद सब लोगों ने उसे उठाकर पानी पिलाया, ये खबर ठाकुर साहब तक भी पहुंच गई, ठाकुर साहब दौड़े-दौड़े आए।‌‌ ठाकुर साहब बोले,चलो जल्दी से डॉक्टर के पास ले चलो, ...और पढ़े

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बंधन--भाग (३)

रातभर गिरिधर उधेड़बुन में लगा रहा और बहुत सोचने-समझने के बाद फैसला ले लिया।। सुबह सो कर उठ कर हुआ और पहुंच गया हवेली नाश्ता करने!! ठाकुर साहब ने जैसे ही गिरिधर को देखा, उनकी खुशी का तो जैसे ठिकाना ही नहीं रहा, दौड़ कर गिरिधर को हृदय से लगा लिया और मुंशी जी से बोले___ मुंशी जी सारे गांव में मिठाई बंटवा दी जाए,शाम को ही मंगनी होगी, जल्दी से पंडित जी बुलाकर ब्याह की तिथि पक्की करवाइए!! हां, मालिक सब हो जाएगा,आप परेशान ना हों, मुंशी जी बोले!! चलो कालिंदी बिटिया नाश्ता लगाओ, पहले नाश्ता कर लें, ...और पढ़े

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बंधन--भाग (४)

कालिंदी के माथे से बहुत खून बह चुका था, शहर से बड़े डाक्टर के आने तक, कालिंदी इंतजार ना सकी और हंसते-खेलते परिवार को छोड़कर चली गई___ ठाकुर साहब तड़प कर रह गये,उधर गिरिधर भी टूट गया, नन्ही सी बच्ची का मुंह देखकर अपने आंसू रोक लेता और अंदर ही अंदर घुटकर रह जाता, गांव के जिस भी महिला-पुरूष को बात पता चली दौड़ा चला आया कालिंदी का मुंह आखिरी बार देखने, ठाकुर साहब को जो भी ढांढस बंधाता,वो खुद ही रोने लगता, कहता कालिंदी जैसी बेटी भगवान सबको दे,दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार,घर के काम-काज में ...और पढ़े

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बंधन--भाग (५) - अंतिम भाग

अमृत राय जी बोले, ऐसा क्या जरूरी काम है... ठाकुर साहब बोले,तू वादा कर कि मेरी बात बुरा नहीं मानेगा!! अमृत राय जी बोले, ठीक है बोल तो सही!! मैं ये कहना चाहता था कि अगर तेरी मर्ज़ी हो तो मीरा बिटिया का ब्याह गिरिधर से करवा दें।। अमृत राय जी बोले,ये बात तो ठीक है लेकिन तू मीरा से पूछ ले तो ज्यादा अच्छा होगा क्योंकि जब मैं और मीरा गिरिधर से पहली बार मिले थे तो मीरा की नजरों में मुझे गिरिधर के लिए प्रेम के भाव नजर आए थे फिर अचानक तूने गिरिधर ...और पढ़े

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