इस क़ामयाबी के दलदल से कैसे निकलोगे जब मंज़िले -ए- ज़माना ही दलदल हो.... !****************************************गुंजन.... गुंजन.... अरे उठोगी या यू ही सारा दिन सोती रहोगी.... देखो ग्यारह बजने को हैं... और मां सीला ने गुंजन का चादर उसके मुँह से हटा दिया... गुंजन दूसरी तरफ करबट लेकर लेटी रहीं... ओफ्हो गुंजन जब से तुम कॉलेज में क्या पढ़ने लगी हो तुम्हारी आदते भी खराब हो गयी हैं... ये कोई सोने का समय हैं आधा दिन होने बाला हैं और तुम हो कि उठने का नाम नहीं लें रहीं हो... अब बस भी करो मम्मी कितना बोलोगी... हां... हां... मेरा बोलना ही बेकार हैं... जब तुम्हारा

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मंज़िलों का दलदल - 1

इस क़ामयाबी के दलदल से कैसे निकलोगे जब मंज़िले -ए- ज़माना ही दलदल हो.... !****************************************गुंजन.... गुंजन.... अरे उठोगी या ही सारा दिन सोती रहोगी.... देखो ग्यारह बजने को हैं... और मां सीला ने गुंजन का चादर उसके मुँह से हटा दिया... गुंजन दूसरी तरफ करबट लेकर लेटी रहीं... ओफ्हो गुंजन जब से तुम कॉलेज में क्या पढ़ने लगी हो तुम्हारी आदते भी खराब हो गयी हैं... ये कोई सोने का समय हैं आधा दिन होने बाला हैं और तुम हो कि उठने का नाम नहीं लें रहीं हो... अब बस भी करो मम्मी कितना बोलोगी... हां... हां... मेरा बोलना ही बेकार हैं... जब तुम्हारा ...और पढ़े

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मंज़िलों का दलदल - 2

गुंजन का रुदन तेज़ होते जा रहा था शायद उसे अपने किये पर पश्चाताप हो रहा था... शायद वो सोच रही थी इन आसुओं से उसका किया गया गुनाह धुल जाएगा.... तभी सीला ने गुस्से में गुंजन को चांटे जड़ दिये... बिलकुल चुप अब अगर थोड़ी सी भी आवाज़ निकाली तो समझ लेना... तुम बाप बेटी ने तो मुझे गवार समझ रखा हैं... और भी तो लड़कियां हैं जो शहर में पढ़ाई कर रही हैं..... जभी मै सोचू कि तेरे पास इतने पैसे आ कहा से रहे हैं... तूने तो यही कहा था ना.... वो कुछ टाइम के लिए नौकरी ...और पढ़े

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