शौकीलाल जी के बढ़ते कदम में मैंने बेड़ी डाल दी। ज्योंही वे मेरे क्वाटर के सामने से गुजरने लगे, मैं उन्हें घेर कर खड़ा हो गया। शाम के आठ बजने वाले थे। मैं फुर्सत में था। टाइम पास करने के लिए मुझे किसी बैठे-ठाले की तलाश थी। तभी लपकते-झपकते चले आ रहे शौकीलाल जी पर मेरी नजर पड़ गई। आरे वाह, इसी को कहते हैं- जहाँ चाह, वहाँ राह। गप्पें मारने के लिए भला शौकीलाल जी से अधिक उपयुक्त पात्र और कहाँ उपलब्ध हो सकता है! बहत दिनों से उनसे मिला भी नहीं था।
Full Novel
पाँच सवाल और शौकीलाल जी - 1
शौकीलाल जी के बढ़ते कदम में मैंने बेड़ी डाल दी। ज्योंही वे मेरे क्वाटर के सामने से लगे, मैं उन्हें घेर कर खड़ा हो गया। शाम के आठ बजने वाले थे। मैं फुर्सत में था। टाइम पास करने के लिए मुझे किसी बैठे-ठाले की तलाश थी। तभी लपकते-झपकते चले आ रहे शौकीलाल जी पर मेरी नजर पड़ गई। आरे वाह, इसी को कहते हैं- जहाँ चाह, वहाँ राह। गप्पें मारने के लिए भला शौकीलाल जी से अधिक उपयुक्त पात्र और कहाँ उपलब्ध हो सकता है! बहत दिनों से उनसे मिला भी नहीं था। ...और पढ़े
पाँच सवाल और शौकीलाल जी - 2
लंबे डग भरते हुए शौकीलाल जी घर आये। मैं भी साथ था। घर आकर उन्होंने बड़ा अधीर होकर चलाया। फिर देखने में ध्यान मग्न हो गए। उनकी अधीरता देखकर ऐसा लगा जैसे अभी- अभी उनके घर का छप्पर फटेगा और धन वर्षा शुरू हो जाएगी। मैं खुर्दबीनी नजर से शौकीलाल जी के इकलौते कमरे का कोना-कोना देखने लगा। पूरे कमरे में केवल फिल्मी पत्रिकायें बिखरी पड़ी थीं। रंग बिरंगी पत्रिकायें। विभिन्न भाषाओं की पत्रिकायें। पूरा बॉलीवुड शौकीलाल जी के कमरे में समा गया लगता था। साथ में टीवी वर्ल्ड मैगजीन की प्रति भी धूल फाँक रही थी। सेंटर टेबुल ...और पढ़े
पाँच सवाल और शौकीलाल जी - 3
शौकीलाल जी ने लापरवाही से जवाब दिया-' अरे छोड़ो यार, अब तो लोक सेवा आयोग, बैंकिंग सेवा आदि त्यागकर इसी की तैयारी करने लगे हैं। अमीर बनने का शार्टकट रास्ता हो तो कोई लम्बी दूरी क्यों तय करना चाहेगा ? और मैं तो खैर मामूली शिक्षक चयन की तैयारी ही छोड़ी है। एक बार.....सिर्फ एक बार हाट शीट पर बैठने का चांस मिल जाए तो फिर देखना कितने शिक्षक मेरे घर पानी भरते नजर आएंगे। '-' हाँ, सो तो है। लेकिन इस तरह से तैयारी करने से कुछ नहीं होगा। व्यावहारिक तैयारी जरूरी है।' मैंने विरोध करना छोड़कर उनके ...और पढ़े