चाँद किसी बदमाश बच्चे सा पेड़ की फुनगी पर जा टँगा था...गोल मटोल से चेहरे पर शरारती मुस्कान लिए हुए...जैसे अभी अभी लाद-फाँद कर कमरे में फेंक से दिए गए बंटी बाबू की हालत का पूरा मज़ा लेने, खिड़की से ताँक-झाँक करने के पूरे मूड में हो। बंटी बाबू यानि कि समीर बाबू...नए-नवेले दूल्हे मियाँ, जिन्हें बड़े इंतज़ार के बाद अब जाकर इजाज़त दी गई है अपनी प्यारी सी नई-नवेली दुल्हन के करीब आने की...। वैसे जब रिश्ते की भाभियाँ धकेलती-छेड़ती उसे कमरे की ओर ला रही तो दिखा तो ऐसे ही रहा था जैसे उसे कोई जल्दी हो ही न...।
Full Novel
झिरी - 1
चाँद किसी बदमाश बच्चे सा पेड़ की फुनगी पर जा टँगा था...गोल मटोल से चेहरे पर शरारती मुस्कान लिए अभी अभी लाद-फाँद कर कमरे में फेंक से दिए गए बंटी बाबू की हालत का पूरा मज़ा लेने, खिड़की से ताँक-झाँक करने के पूरे मूड में हो। बंटी बाबू यानि कि समीर बाबू...नए-नवेले दूल्हे मियाँ, जिन्हें बड़े इंतज़ार के बाद अब जाकर इजाज़त दी गई है अपनी प्यारी सी नई-नवेली दुल्हन के करीब आने की...। वैसे जब रिश्ते की भाभियाँ धकेलती-छेड़ती उसे कमरे की ओर ला रही तो दिखा तो ऐसे ही रहा था जैसे उसे कोई जल्दी हो ही न...। ...और पढ़े
झिरी - 2
बत्ती फिर जला तेज़ी से वो दरवाज़े की ओर लपका। कुंडी खोल दरवाज़े को खींचा तो याद आया, वो बाहर से बन्द था। उसे पहली बार भाभी पर दिल से गुस्सा आया...। अपना तो मज़ाक हो गया, यहाँ जान पर बन आई हो जैसे...। ऐसा लग रहा था मानो हाथ-पैर कट गए हों..। उसने एहतियात से दरवाज़े को फिर खींचा...कुछ इस तरह कि आवाज़ न के बराबर हो...। हिलाने से किसी तरह अगर दरवाज़ा खुल जाए तो वो कोई इंतज़ाम भी करे...। अब अन्दर वो करे भी तो क्या...और अगर कुछ किया नहीं तो ये रात कैसे कटेगी...? ये क्या कोई रोज-रोज आने वाली रात है...? ...और पढ़े