कहानी ऐसे थोड़े न लिखी जाती है...

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कई दिनो से सोच रही हूँ, कोई कहानी लिखूँ। आप भी सोचेंगे, ये कहानी लिखने का आइडिया मेरे दिमाग़ में आया कहाँ से...? मैं ठहरी एक आम सी, सीधे-साधे ढंग से अपनी गृहस्थी चलाने वाली साधारण औरत...मैं भला कहानी लिखना क्या जानूँ...? बिल्कुल सही कहा आपने...। अरे, कहानी लिखने के लिए संवाद चाहिए, पात्र होते हैं, घटनाक्रम होता है...और क्या कहते हैं उसे...हाँ, कथानक...एक बढ़िया सी थीम की भी तो दरकार होती है...। पर यह बात नीलम समझना ही नहीं चाहती। जब फोन करेगी, एक ही बात, माँ, कहानी लिखना शुरू कर दो...। इतनी अच्छी किस्सागो हो, बस अपनी बात को काग़ज़ पर उतार डालो...। तुम्हारा टाइम भी कटेगा और अगर छप गई तो नाम के साथ-साथ पैसा भी मिलेगा...सच्ची...।

Full Novel

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कहानी ऐसे थोड़े न लिखी जाती है... - 1

कई दिनो से सोच रही हूँ, कोई कहानी लिखूँ। आप भी सोचेंगे, ये कहानी लिखने का आइडिया मेरे दिमाग़ आया कहाँ से...? मैं ठहरी एक आम सी, सीधे-साधे ढंग से अपनी गृहस्थी चलाने वाली साधारण औरत...मैं भला कहानी लिखना क्या जानूँ...? बिल्कुल सही कहा आपने...। अरे, कहानी लिखने के लिए संवाद चाहिए, पात्र होते हैं, घटनाक्रम होता है...और क्या कहते हैं उसे...हाँ, कथानक...एक बढ़िया सी थीम की भी तो दरकार होती है...। पर यह बात नीलम समझना ही नहीं चाहती। जब फोन करेगी, एक ही बात, माँ, कहानी लिखना शुरू कर दो...। इतनी अच्छी किस्सागो हो, बस अपनी बात को काग़ज़ पर उतार डालो...। तुम्हारा टाइम भी कटेगा और अगर छप गई तो नाम के साथ-साथ पैसा भी मिलेगा...सच्ची...। ...और पढ़े

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कहानी ऐसे थोड़े न लिखी जाती है... - 2

निर्मल बाहर क्या गया, मानो मेरी आत्मा ले गया...। दिन काटे नहीं कटता था...। माँ भी बहुत खालीपन महसूस लगी थी, पर अब मेरे ब्याह की चिन्ता उन्हें इस कदर सताने लगी थी कि उसकी माथापच्ची में उनका सारा खालीपन भर गया...। पर मैं क्या करती...? मैं तो शादी ही नहीं करना चाहती थी...। मुझे बस निर्मल का इंतज़ार था...। अपनी चिठ्ठी में उसने लिखा भी था, छः महीने की नौकरी के बाद उसे ऑफ़िस की तरफ़ से एक हफ़्ते की छुट्टी मिल जाएगी। उसे पता था कि उसकी चिठ्ठी घर में सब पढ़ेंगे, सो जो मैं पढ़ना चाहती थी, चाहते हुए भी वह वो सब नहीं लिख पाया...। ...और पढ़े

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