अंकित

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अंकित अपनी परिचित दोस्त सौरव को अपनी कहानी सुनाता है।गर्मियों के दिन हैं।कमरों में असहनीय गर्मी है।दोनों रात को छत्त पर चले जाते हैं।वह अपनी रामायण के पन्ने पलटता है।रात सूनी-सूनी है।अजायब घर की तरह। नक्षत्र टिमटिमा रहे हैं।वह अतीत में झांकता है।