वैल विशर - 1

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रात अपने आगोश में बारिश की बूंदो की ठंडक सी समेटे हुए थी । कभी कभी बादलों की परतों को खोलता हुआ चाँद ऐसे निकलता मानो अपनी चांदनी की छटा बिखेरने की अदा से सबको रूबरू करवाना चाहता हो । पर बादलों ने भी आज चाँद के मिज़ाज़ को समझते हुए उसकी हर कोशिश को नाकाम करने की ठान ली थी ।फिर भी कोशिश करने पर , चाँद एक पल के लिए ही सही, निकल कर मुस्कुरा कर ऐसे छिप जाता बादलों में जैसे अपनी चांदनी से मुहब्बत बयाँ करने गया हो ।