फाईल क्लोजड

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और चंद घंटो बाद ही बड़े साहब वापिस शहर की ओर लौट रहे थे। रोडवेज बस की यात्रा, दिन भर की थकावट और ठंडी हवा के झोंको से उनकी पलके बोझिल होने लगी थी। उनकी गौद में पड़ी केस फ़ाइल पर लिखे शब्द फाईल क्लोजड उन्हें बार बार अपने आप से ही उलझा रहे थे। क्या मैंने कालि को छोड़कर सही किया ये प्रश्न बार उनके मन को मथ रहा था।