प्यारे लोग

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बात आज से नौ वर्ष पूर्व वृन्दावन के मोतीझील स्थान के एक वैष्णव ब्राह्मण परिवार की है। एक १५-१६ वर्षीय श्वेतांक नामक किशोर दसवीं की परिक्षाएँ देने के बाद अपने नाना-नानी के यहाँ छुट्टियाँ बिताने आया। वृन्दावन वह पहली बार आया था और वृन्दावन की महिमा उसने अपने नानाजी से हमेशा से ही सुनी हुई थी।