गोदान भाग 35

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गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब समाप्त हो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है। मरजाद की जिद के साथ होरी का मरना गोदान के अंत को एक त्रासद बिंदु बना देता है । इस यथार्थवादी उपन्यास के नायक होरी का यह त्रासद अंत पाठक को देर तक और दूर तक अपनी जद में लिए रहता है ।