परीक्षा-गुरु - प्रकरण-40

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लाला मदनमोहन बड़े आश्‍चर्य मैं थे कि क्‍या भेद है जगजीवनदास यहां इस्समय कहां सै आए ? और आए भी तो उन्‍के कहनें सै पुलिस कैसे मान गई ! क्‍या उन्‍होंनें मुझको हवालात से छुड़ानें के लिये कुछ उपाय किया ? नहीं उपाय करनें का समय अब कहां है ? और आते तो अब तक मुझसै मिले बिना कैसे रह जाते ? इतनें मैं दूर सै एकाएक प्रकाश दिखाई दिया और लाला ब्रजकिशोर पास आ खड़े हुए. हैं ! आप इस्‍समय यहां कहां ! मैंनें तो समझा था कि आप अपनें मकान मैं आराम सै सोते होंगे लाला मदनमोहन नें कहा.