गोदान भाग 23

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गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब समाप्त हो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है। शोभा द्वारा पूछे गए सवाल कि इन महाजनों से कभी पीछा छूटेगा या नहीं ” के उत्तर में होरी कहता है – इस जनम में तो आशा नहीं है भाई । हम राज नहीं चाहते , भोग विलास नहीं चाहते , खाली मोटा झोटा खाना और मरजाद के साथ रहना चाहते हैं।