गोदान भाग 21

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गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब समाप्त हो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है। सारे गांव के सामने अपनी पत्नी को पीटने में उसकी इज्जत नहीं जाती किंतु पुलिस द्वारा घर की तलाशी से जाती है । ठाकुर जी की आरती के लिए वह इसलिए नहीं उठता क्योंकि उसके पास चढ़ावे के लिए तांबे का पैसा नहीं है और ऎसे में वह सबकी आंखों के सामने हेठा बन जाएगा ।