चवन्नी लाल ने अपनी मोटर साईकल स्टाल के साथ रोकी और गद्दी पर बैठे बैठे सुबह के ताज़ा अख़्बारों की सुर्ख़ियों पर नज़र डाली। साईकल रुकते ही स्टाल पर बैठे हुए दोनों मुलाज़िमों ने उसे नमस्ते कही थी। जिस का जवाब चवन्नी लाल ने अपने सर की ख़फ़ीफ़ जुंबिश से दे दिया था। सुर्ख़ियों पर सरसरी नज़र डाल कर चवन्नी लाल ने एक बंधे हुए एक बंडल की तरफ़ हाथ बढ़ाया जो उसे फ़ौरन दे दिया गया। इस के बाद उस ने अपनी बी एस ए मोटर साईकल का इंजन स्टार्ट किया और ये जा वो जा।