परीक्षा-गुरु - प्रकरण-29

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आज तो मुझ से एक बड़ी भूल हुई मुन्‍शी चुन्‍नीलाल नें लाला मदनमोहन के पास पहुँचते ही कहा मैं समझा था कि यह सब बखेड़ा लाला ब्रजकिशोर नें उठाया है परन्‍तु वह तो इस्‍सै बिल्‍कुल अलग निकले. यह सब करतूत तो हरकिशोर की थी. क्‍या आपनें लाला ब्रजकिशोर के नाम चिट्ठी भेज दी ? हां चिट्ठी तो मैं भेज चुका मदनमोहन नें जवाब दिया. यह बड़ी बुरी बात हुई. जब एक निरपराधी को अपराधी समझ कर दण्ड दिया जायगा तो उस्‍के चित्त को कितना दु:ख होगा मुन्शी चुन्‍नीलाल नें दया करके कहा (!) फ़िर क्‍या करें ? जो तीर हाथ सै छुट चुका वह लौटकर नहीं आसक्ता लाला मदनमोहन नें जवाब दिया.