परीक्षा-गुरु - प्रकरण-25

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हम प्रथम लिख चुके हैं कि हरकिशोर साहसी पुरुष था और दूर के सम्बन्ध मैं ब्रजकिशोर का भाई लगता था. अब तक उस्के काम उस्की इच्छानुसार हुए जाते थे वह सब कामों मैं बड़ा उद्योगी और दृढ़ दिखाई देता था. उस्का मन बढ़ता जाता था और व‍ह लड़ाई झगड़े वगैरे के भयंकर और साहसिक कामों मैं बड़ी कारगुजारी दिखलाया करता था. वह हरेक काम के अंग प्रत्यंग पर दृष्टि डालनें या सोच बिचार के कामों मैं माथा खाली करनें और परिणाम सोचनें या कागजी और हिसाबी मामलों मैं मन लगनें के बदले ऊपर, ऊपर सै इन्को देख भाल कर केवल बड़े, बड़े कामों मैं अपनें तांई लगाये रखनें और बड़े आदमियों सैं प्रतिष्ठा पानें की विशेष रुचि रखता था.