गोदान भाग 11

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गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब समाप्त हो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है। महाजनी सभ्यता के क्रूर पंजों में फंसे होरी की कहानी किसी भी गरीब और शोषित भारतीय किसान की भांति ही है जो गरीबी की मार, बंटवारे का दर्द् , कर्ज की मार ,बैलों की जोड़ी के बिक जाने या मर जाने का सदमा, आधा खेत साझे की खेती का अपमान और अपने खेतों की नीलामी का दंश सहता हुआ आखिरकार् मजदूरी करने को बाध्य हो जाता है ।