गोदान भाग 3

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गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब समाप्त हो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है। धूप और संघर्षों से सांवली और सूखी पड़ गई उसकी त्वचा ,पिचका हुआ मुंह , धंसी हुई निस्तेज आंखें और कम उम्र में ही संघर्षों की मार से बुढ़ाया हुआ मुख – होरी के इस बिंब से किसी भी भारतीय किसान का चेहरा बरबस सामने आ जाता है । होरी और उसके जैसे असंख्य किसानों की जीवन दुर्दशा का चित्र पेश करते हुए प्रेमचंद...