परीक्षा-गुरु - प्रकरण-2

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हैं अभी तो यहां के घन्टे मैं पौनें नौ ही बजे हैं तो क्‍या मेरी घड़ी आध घन्टे आगे थी ? मुन्शीचुन्‍नीलालनें मकान पर पहुँचते ही बड़े घन्टे की तरफ़ देखकर कहा. परन्तु ये उस्‍की चालाकी थी उसनें ब्रजकिशोर सै पीछा छुड़ानें के लिये अपनी घड़ी चाबी देनें के बहानें सै आध घन्टे आगे कर दी थी ! कदाचित् ये घन्टा आध घन्टे पीछे हो मास्‍टर शिंभूदयाल नें बात साध कर कहा। नहीं, नहीं ये घन्टा तोप सै मिला हुआ है लाला मदनमोहन बोले. तो लाला ब्रजकिशोर साहब की लच्‍छेदार बातैं नाहक़ अधूरी रह गईं ? मुन्शी चुन्‍नीलाल नें कहा.