Savan ka Mahina Tha

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सावन का महीना था। इंद्रदेव अपने पूरे वेग से बरस रहे थे। सूरज देवता तो जैसे आज निकलना ही भूल गये। हर तरफ काली घटा छायी हुई थी। ऐसे मौसम में सुरभी जल्दी -जल्दी काम निपटा कर तैयार तो हो गई पर मन दुविधा में था आज जाऊँ कि न जाऊँ ,एक तरफ तो राहुल भी घर पर हैं बारिश की वजह से जा नहीं पाये , और दूसरी तरफ उफ्फ्,,, इतनी तेज़ बारिश में कोई कक्षा में आएगा भी कि नहीं ? कोई आये या न आये ,पर मुझे तो जाना ही पडेगा